चुनाव प्रचार के अंतिम दिन महिलाओं से संवाद करेंगे पीएम मोदी, एनडीए के लिए मांगेंगे वोट
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान नजदीक है और इसके साथ ही चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने प्रचार अभियान के अंतिम चरण में एक विशेष पहल के तहत राज्य की महिला मतदाताओं और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद स्थापित करने जा रहे हैं। यह कार्यक्रम न केवल चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रधानमंत्री की उस सोच को भी दर्शाता है जिसमें महिलाओं को समाज और राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत धुरी माना गया है।
‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ – महिलाओं से सीधा संवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी की ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ पहल के तहत बिहार की महिला शक्ति से जुड़ेंगे। यह कार्यक्रम चार नवंबर को अपराह्न साढ़े तीन बजे आयोजित किया जाएगा, जहां प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से माताओं, बहनों और महिला कार्यकर्ताओं से सीधे बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि बिहार की महिलाएं भाजपा और एनडीए की जीत सुनिश्चित करने के लिए असाधारण ऊर्जा और प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की यह सक्रिय भागीदारी लोकतंत्र को और अधिक सशक्त बना रही है।
बिहार में महिला भागीदारी का बढ़ता प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में महिलाओं की भूमिका लगातार मजबूत होती गई है। पंचायत चुनावों से लेकर विधानसभा तक, महिलाओं ने अपनी उपस्थिति से राजनीति को नई दिशा दी है। प्रधानमंत्री मोदी के इस संवाद कार्यक्रम को इसी बढ़ती भागीदारी से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा का मानना है कि “मेरा बूथ, सबसे मजबूत” केवल एक संगठनात्मक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने का अभियान है। इसमें हर मतदाता, खासकर महिला मतदाता, को एक सशक्त भागीदार के रूप में जोड़ा जा रहा है।
महिला सशक्तिकरण पर केंद्र और राज्य की पहल
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी संकेत दिया है कि भाजपा-एनडीए सरकारें महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान को सर्वोच्च प्राथमिकता देती हैं। हाल ही में बिहार सरकार ने 25 लाख महिलाओं के बैंक खातों में 10,000 रुपये की सहायता राशि भेजी है। इस राशि का उद्देश्य महिलाओं में उद्यमिता को प्रोत्साहित करना और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाना है। यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार पहले से ही उज्ज्वला योजना, मुद्रा लोन, मातृत्व सहायता योजना और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दे रही है।
सियासत के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनाव प्रचार अभियान में केवल राजनीतिक संदेश ही नहीं दे रहे, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी संदेश प्रसारित कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने पटना साहिब गुरुद्वारा में जाकर मत्था टेका। उनके इस कदम का सिख समुदाय ने खुले दिल से स्वागत किया। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ‘एक्स’ पर लिखा कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा सिख परंपराओं के प्रति उनके आदर और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मोदी जी की उपस्थिति ने वैश्विक सिख संगत को “चढ़दी कला” का भाव प्रदान किया है।
भाजपा का महिला केंद्रित संदेश
प्रधानमंत्री मोदी का यह संवाद कार्यक्रम एक स्पष्ट राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी है। बिहार में महिला मतदाता लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं। एनडीए यह संदेश देना चाहती है कि वह महिलाओं को केवल वोट बैंक नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन की धुरी के रूप में देखती है। भाजपा का मानना है कि यदि महिला मतदाता संगठनात्मक रूप से मजबूत होंगी, तो न केवल चुनावी सफलता सुनिश्चित होगी, बल्कि यह समाज में स्थायी परिवर्तन का आधार भी बनेगा। मोदी ने पहले भी कई बार कहा है कि “बेटी, बहन और मां का सशक्त होना भारत की शक्ति का विस्तार है।”
बिहार में चुनावी मुकाबला और प्रचार का अंतिम दौर
छह नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है। इस कारण मंगलवार को प्रचार का आखिरी दिन होगा। राज्य भर में सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं। जहां विपक्ष बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को उठा रहा है, वहीं एनडीए विकास, सुरक्षा और सशक्तिकरण की बात कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कार्यक्रम चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में महिलाओं को केंद्र में रखकर चलाए जा रहे राजनीतिक संवाद को और मजबूती देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिलाओं से संवाद केवल एक चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। यह दिखाता है कि भाजपा-एनडीए महिलाओं को समाज के परिवर्तनकारी तत्व के रूप में देखता है। बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में चल रही योजनाओं और पहलों को देखकर यह स्पष्ट है कि राजनीति अब केवल पुरुष-प्रधान नहीं रही। पटना साहिब गुरुद्वारा में प्रधानमंत्री की उपस्थिति और महिलाओं से संवाद – ये दोनों घटनाएं यह संकेत देती हैं कि मोदी का संदेश केवल सत्ता तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता की ओर भी उन्मुख है। अब देखना यह होगा कि बिहार की महिलाएं इस संदेश को कितनी गहराई से आत्मसात करती हैं और छह नवंबर को होने वाले मतदान में किस तरह से अपनी भागीदारी दर्ज कराती हैं।


