November 14, 2025

Exclusive news-बालू खनन के साथ ही सोन क्षेत्र होगा हरा-भरा,लगाएं जायेंगे एक लाख से अधिक पेड़ 

>> सीआ के गाइडलाइन अनुसार भोजपुर में पौधारोपण का काम शुरू, पटना, अरवल, औरंगाबाद व रोहतास में भी लगना हैं पौधा 

>> ई सी के वैधता तक बंदोवस्तधारी को सुरक्षित रखना होगा पेड़, प्रथम वर्ष में पौधे की ऊँचाई होनी 

 

पटना(रवीश कुमार मणि)।जिस तरह से शरीर के लिए शुद्ध भोजन ज़रूरी हैं उसी तरह से जन – जीवन में पर्यावरण की अहम है । पर्यावरण के संरक्षण से ही हमें शुद्ध जल व शुद्ध हवा मिलता है । पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने जल – जीवन- हरियाली योजना लागू कर रखा है । इसके तहत हर एक गांव में पौधारोपण किया गया है । सरकार ने इसे और व्यापक करते हुए नदी क्षेत्र को हरा – भरा करने का निर्णय लिया है ।बालू खनन वाले सोन नदी के तटबंध और आसपास में लाखों वृक्ष लगाने का राज्य पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण बिहार ने दिशा निर्देश जारी किया है । जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है की पर्यावरण संरक्षण के हित को देखते हुए बालू बंदोवस्तधारी नदी के तटबंध एवं आसपास में पौधारोपण करेंगे एवं पौधों का रख – रखाव सहित सुरक्षित रखेंगे । इसके तहत सोन नदी के बालू खनन वाले क्षेत्र में एक लाख से अधिक वृक्ष लगाएं जायेंगे । भोजपुर डीएमओ राजेश कुशवाहा ने पौधारोपण कर इसकी शुरुआत कर दिया है । भोजपुर ज़िले में बालू बंदोबस्तधारियों ने हज़ारों वृक्ष लगाया है । पटना, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास ज़िले के सोन नदी के क्षेत्र में पौधारोपण होना है जो अभी पाइपलाइन में हैं हालाँकि इन ज़िलों में बालू खनन का काम एक पखवाड़े पूर्व से ही शुरू हो गया है । सीआ द्वारा निर्गत ईसी में स्पष्ट उल्लेख है की बालू खनन शुरू करते ही बंदोबस्तधारी को पौधारोपण करना अनिवार्य है । 6 माह बाद इसकी समीक्षा की जायेगी और खनन विभाग के माध्यम से सीओ को एक रिपोर्ट भी भेजनी है । मतलब स्पष्ट है बालू बंदोबस्तधारियों ख़ानापूर्ति नहीं कर पाएँगे , हर हाल में बालू खनन वाले क्षेत्र में वृक्षारोपण करना होगा । ऐसा नहीं होने पर बालू बंदोबस्तधारी को ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा । मालूम हो की पटना में क़रीब 21 बालू घाट की नीलामी की गयी है , इसी तरह भोजपुर में 52 अरवल में 12 रोहतास व औरंगाबाद में नीलामी हुई है । इसमें अभी आधे से कम में बालू खनन शुरू हुआ है । प्रति बालू बंदोबस्तधारी को 5-10 पौधा प्रति हेक्टेयर लगाना है और ईसी की वैधता तक सुरक्षित रखना है । वहीं सीआ ने पर्यावरण हित को देखते हुए ईसी में कई निर्देश दिया है जिसका पालन अनिवार्य कर दिया है एवं खनन विभाग की भी ज़िम्मेवारी तय कर दी है । अब देखना है की ईसी के अनुकूल बालू का खनन व परिवहन होता है की नही …..

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