गजछाया योग में बुधवार को होगा पितृपक्ष का समापन, पितरों की कृपा पाने को मिले थे 16 दिन

पटना। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा 21 सितंबर से शुरू होकर आश्विन कृष्ण अमावस्या बुधवार 6 अक्टूबर तक चलने वाले पितृपक्ष का गजछाया योग में समापन होगा। इस बार पितृपक्ष में द्वितीय तिथि दो दिन होने से यह पक्ष 16 दिन का रहा। आश्विन कृष्ण अमावस्या बुधवार को स्नान-दान सहित सर्वपैत्री अमावस्या का दान, तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान एवं पितृ विसर्जन महालया पर्व के रूप में संपन्न होगा। अमावस्या सूर्योदय से लेकर शाम 05:21 बजे तक है। अज्ञात तिथि या किसी कारणवश तिथि विशेष पर श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान नहीं होने पर ऐसे सभी पितरों का पितृकर्म अमावस्या को किया जायेगा। इस दिन ब्राह्मणों को महाविष्णु स्वरूप मानते हुई पितरों की संतुष्टि के निमित्त उनको भोजन कराकर यथोचित दान सम्मान करने से घर-सपरिवार में सुख शांति का आगमन तथा वंश-बेल बढ़ती है। वहीं मंगलवार को पितृपक्ष का चतुर्दशी तिथि है, शस्त्रादि से मृत्यु को प्राप्त हुए पितरों का श्राद्ध किया जायेगा।
गजछाया योग में पितृपक्षांत
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि बुधवार को आश्विन कृष्ण अमावस्या यानि पितृपक्ष के अंतिम दिन महालया पर्व पर हस्त नक्षत्र के साथ गजछाया तथा सर्वार्थ सिद्धि योग का पुण्यप्रद संयोग बन रहा है। इस तरह के शुभ संयोग में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान एवं दान करने से पितरों का आशीर्वाद और अक्षय फल मिलता है। ऐसा संयोग सात वर्ष पूर्व 2010 में बना था। अब साल 2029 में यह योग बनेगा। गजछाया योग के बारे में स्कंद पुराण में वर्णित है। इस योग में श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है।
कर्ज से मुक्ति व शांति-समृद्धि का वास
ज्योतिषी झा के अनुसार पितृपक्ष में अंतिम दिन गजछाया योग तथा सर्वार्थ सिद्धि योग के पुण्य संयोग पितरों की पूजा व दान आदि से कर्ज से मुक्ति के साथ घर में सुख-शांति एवं समृद्धि का आगमन होता है। इस पुण्यकारी संयोग में श्राद्ध और दान करने से पितृ अगले 12 वर्षों के लिए तृप्त होते हैं। बुधवार को गजछाया योग सूर्योदय से शाम 05:09 बजे तक रहेगा। सूर्य और चंद्रमा दोनों बुध की राशि यानि कन्या राशि में रहेंगे। इसमें पूर्वजों के पसंदीदा भोज्य पदार्थ का दान करना उत्तम रहेगा।

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