पटना में फोरलेन पर तीर्थयात्रियों की बस पलटी, एक की मौत, 24 घायल
पटना। जिले के बख्तियारपुर-मोकामा फोरलेन पर शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ, जिसमें तीर्थयात्रियों से भरी बस असंतुलित होकर सड़क किनारे पलट गई। दुर्घटना इतनी भीषण थी कि बस सड़क की लोहे की बैरिकेडिंग तोड़ते हुए नीचे जा गिरी। इस हादसे में एक महिला की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 24 से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को स्थानीय लोगों की सहायता से तुरंत मोकामा ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
तीर्थयात्रा के दौरान हुआ हादसा
घटना की जानकारी के अनुसार बस में सवार सभी तीर्थयात्री मधुबनी जिले के रहने वाले थे। वे धार्मिक यात्रा के लिए अयोध्या गए थे और सिमरिया धाम लौट रहे थे। यात्रियों के लिए यह यात्रा आध्यात्मिक शांति और आस्था से भरी होनी थी, लेकिन वापसी के दौरान बरहपुर के पास फोरलेन पर उनकी बस दुर्घटनाग्रस्त होकर त्रासदी में बदल गई। घटनास्थल के नजदीक सड़क का एक मोड़ है, जहां वाहन अक्सर असंतुलित हो जाते हैं। यह मोड़ पहले भी कई दुर्घटनाओं का कारण बन चुका है और सुरक्षा उपायों की कमी को लेकर स्थानीय लोग कई बार शिकायत कर चुके हैं।
ड्राइवर की झपकी बनी हादसे की वजह?
घटना में घायल एक महिला यात्री ने बताया कि ड्राइवर को गाड़ी चलाते समय नींद आ रही थी। उसने बस मालिक से कहा था कि वह थक चुका है और गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा है। इसके बावजूद मालिक, जिसे ड्राइविंग की पूरी जानकारी नहीं थी, बस चलाने के लिए तैयार हो गया। यात्रियों के अनुसार बस मालिक ने अनुभव की कमी के बावजूद गाड़ी संभालने की कोशिश की, और सड़क के मोड़ पर वह वाहन पर नियंत्रण खो बैठा। यह जानकारी हादसे के मुख्य कारण की ओर इशारा करती है और यह भी दर्शाती है कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कितनी लापरवाही बरती गई।
दुर्घटना का भयावह दृश्य
प्रत्यक्षदर्शियों और बचाव कार्य में शामिल स्थानीय लोगों के अनुसार दुर्घटना इतनी जोरदार थी कि बस बिखर सी गई। लोहे की बैरिकेडिंग टूटकर सड़क के नीचे गिरती बस का मलबा चारों ओर फैल गया। बस के शीशे टूट चुके थे और कई यात्री बस में फंस गए थे। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और खुद राहत कार्य में जुट गए। घटनास्थल पर अफरा-तफरी का माहौल था। कई यात्री घायल अवस्था में दर्द से तड़प रहे थे और जिन्हें गंभीर चोटें आई थीं, उन्हें प्राथमिकता के साथ ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया गया।
घायलों की स्थिति और इलाज
मोकामा ट्रॉमा सेंटर में घायलों का इलाज जारी है। डॉक्टरों ने बताया कि कुछ यात्रियों की हालत गंभीर है और उन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है। चिकित्सकों के अनुसार सिर, पैर और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें पाई गई हैं। कुछ मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किए जाने की संभावना भी जताई गई है। अस्पताल में बड़ी संख्या में परिजनों और स्थानीय लोगों की भीड़ लगी हुई है, जिससे तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
दुर्घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किए। सड़क पर जाम लगने की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसे पुलिस ने नियंत्रित किया। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि हादसे के कारणों की जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि ड्राइवर की लापरवाही और मोड़ पर नियंत्रण खो देने से दुर्घटना हुई। स्थानीय प्रशासन ने यह भी कहा कि उस क्षेत्र में वाहन चालकों को सावधानी बरतने की जरूरत है और सड़क की संरचना पर भी सुधार की आवश्यकता महसूस होती है।
यात्रियों में दहशत और दुख
हादसे के बाद तीर्थयात्रियों में डर और सदमा फैल गया है। कई यात्री अभी भी हादसे के क्षणों को याद कर सहम जा रहे हैं। कुछ यात्रियों ने बताया कि बस अचानक तेजी से हिलने लगी और कुछ ही सेकंड में वह सड़क से नीचे जा गिरी। किसी को संभलने का मौका नहीं मिला। परिजनों और ग्रामीणों में शोक का माहौल है, खासकर उस महिला के परिवार में जिसकी मौके पर ही मौत हो गई।
सड़क सुरक्षा पर उठे सवाल
यह हादसा सड़क सुरक्षा और परिवहन व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। ड्राइवरों की थकान, बस मालिकों की लापरवाही और सड़क के खतरनाक मोड़ों पर सुरक्षा उपायों की कमी जैसी समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। स्थानीय लोग लंबे समय से इस मोड़ पर दुर्घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित करते आए हैं। उनका कहना है कि यहां उचित संकेतक, स्पीड ब्रेकर और बैरिकेडिंग की जरूरत है। बख्तियारपुर-मोकामा फोरलेन पर हुई यह घटना केवल एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्थाओं में मौजूद खामियों का गंभीर उदाहरण है। यात्रियों के लिए यह यात्रा हमेशा की तरह धार्मिक श्रद्धा से भरी होनी चाहिए थी, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और मानवीय चूक ने इसे त्रासदी में बदल दिया। अब यह जरूरी है कि प्रशासन इस मार्ग पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करे और यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और लोगों की जान सुरक्षित रहे।


