हनी सिंह के ‘मैनिएक’ गाने के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर, कल होगी सुनवाई
पटना। हाल ही में मशहूर रैपर और गायक हनी सिंह का गाना ‘मैनिएक’ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। इस गाने में भोजपुरी भाषा की कुछ पंक्तियाँ शामिल हैं, जो बेहद अश्लील मानी जा रही हैं। विशेष रूप से एक पंक्ति में दीदी के देवर को लेकर द्विअर्थी संवाद का प्रयोग किया गया है, जिसे लेकर विरोध तेज हो गया है। समाज में बढ़ती अश्लीलता और महिलाओं के प्रति अभद्र भाषा के उपयोग को लेकर अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने इस गाने पर आपत्ति जताते हुए पटना हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दायर की है।
अश्लीलता के खिलाफ कानूनी लड़ाई
नीतू चंद्रा ने अपनी याचिका में यह तर्क दिया है कि इस तरह के गीत महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं और समाज में विकृति फैलाते हैं। उन्होंने इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में इस तरह के अश्लील गाने न बन सकें। उनके अनुसार, ऐसे गीत समाज के युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और उनकी सोच को दूषित करने का काम करते हैं। याचिका में कहा गया है कि संविधान हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है। जब यह स्वतंत्रता समाज में गलत संदेश देने लगे और किसी विशेष वर्ग, विशेषकर महिलाओं, को अपमानित करने लगे, तो इस पर रोक लगाना आवश्यक हो जाता है। यह भी कहा गया है कि वर्तमान में भोजपुरी गानों का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और उनमें द्विअर्थी एवं अभद्र भाषा का प्रयोग बढ़ गया है। ऐसे गाने समाज की मानसिकता को दूषित करने का कार्य कर रहे हैं, जिस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
अदालत में सुनवाई और आगे की राह
नीतू चंद्रा की ओर से यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार के मार्गदर्शन में अधिवक्ता शशांक शेखर, शशि, और आर्य अंचित द्वारा दायर की गई। उन्होंने अदालत से अपील की है कि इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार के गीतों का निर्माण न हो। अदालत इस याचिका पर 7 मार्च को सुनवाई करेगी। यह मामला केवल हनी सिंह के ‘मैनिएक’ गाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक मुद्दे को उठाता है। पिछले कुछ वर्षों में कई भोजपुरी और हिंदी गानों में महिलाओं को वस्तु की तरह प्रस्तुत किया गया है। इस पर रोक लगाने के लिए कई बार मांग उठी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यदि इस याचिका पर अदालत का कड़ा रुख सामने आता है, तो यह भविष्य में अन्य कलाकारों और निर्माताओं के लिए एक चेतावनी साबित हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है और क्या इस तरह के गीतों पर स्थायी रूप से कोई रोक लगाई जा सकती है। यह मामला न केवल महिलाओं की गरिमा से जुड़ा है, बल्कि समाज में बढ़ती अश्लीलता को रोकने के प्रयासों की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।


