October 28, 2025

5 अक्टूबर को बीजेपी में फिर से शामिल होंगे पवन सिंह, औपचारिक रूप से ग्रहण करेंगे पार्टी की सदस्यता

पटना। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पावर स्टार पवन सिंह की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में घर वापसी की तारीख तय हो गई है। पार्टी सूत्रों ने पुष्टि की है कि पवन सिंह आगामी 5 अक्टूबर को औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। पवन सिंह की लोकप्रियता और भोजपुरिया बेल्ट में उनकी गहरी पैठ को देखते हुए भाजपा इस कदम को बेहद रणनीतिक मान रही है। माना जा रहा है कि उनकी एंट्री से न केवल पार्टी का जनाधार मजबूत होगा, बल्कि शाहाबाद और सीमावर्ती क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा।
दिल्ली मुलाकात के बाद अटकलें हुईं तेज
सूत्रों के अनुसार, पवन सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से ही राजनीतिक हलकों में उनकी भाजपा में वापसी की चर्चाएं तेज हो गई थीं। हालांकि अब भाजपा नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे 5 अक्टूबर को पार्टी में शामिल होंगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने भी हाल ही में यह कहते हुए स्थिति स्पष्ट की थी कि “पवन सिंह भाजपा में थे और भाजपा में रहेंगे।” इसके बाद से उनकी वापसी लगभग तय मानी जा रही थी।
भोजपुरिया बेल्ट में असर
पवन सिंह का नाम भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में सुपरहिट गानों और फिल्मों के लिए जाना जाता है। भोजपुरी सिनेमा से जुड़े रहने के कारण उनकी लोकप्रियता उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती इलाकों तक फैली हुई है। भाजपा रणनीतिकार मानते हैं कि खासकर शाहाबाद क्षेत्र—भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर—की 22 विधानसभा सीटों पर उनकी एंट्री से पार्टी को बड़ा फायदा मिल सकता है। इसके अलावा, पवन सिंह का राजपूत समाज में भी गहरा प्रभाव है। यही कारण है कि पार्टी उन्हें इस वर्ग को साधने के लिए सामने लाना चाहती है।
काराकाट सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा
2024 के लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। उस समय एनडीए ने इस सीट से उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया था। पवन सिंह के निर्दलीय मैदान में उतरने से वोटों का बंटवारा हुआ और अंततः महागठबंधन उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। एनडीए को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि इस बार भाजपा उन्हें काराकाट विधानसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतार सकती है। हालांकि, खुद पवन सिंह ने यह कहकर रहस्य बनाए रखा है कि “विधानसभा चुनाव जरूर लड़ूंगा, लेकिन सीट और बाकी बातें समय आने पर तय होंगी।”
पत्नी ज्योति सिंह भी उतरेंगी सियासत में
दिलचस्प पहलू यह है कि पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह भी अब राजनीति में सक्रिय हो गई हैं। उन्होंने हाल ही में घोषणा की थी कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में जरूर किस्मत आजमाएंगी। ज्योति सिंह की सक्रियता के कारण पति-पत्नी दोनों के चुनाव मैदान में उतरने की संभावना से बिहार की सियासत और दिलचस्प होती जा रही है। ज्योति सिंह की मुलाकात हाल ही में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी से भी हुई थी। इस वजह से उनकी राजनीतिक भूमिका पर भी लगातार चर्चाएं हो रही हैं।
पवन सिंह का बयान और जनता से जुड़ाव
पवन सिंह ने हाल ही में एक रियलिटी शो छोड़ते हुए कहा था—“मेरी जनता ही मेरा भगवान है और चुनाव के समय मेरा फर्ज है कि मैं उनके बीच रहूं।” उनके इस बयान को भी राजनीतिक संकेत माना गया था कि वे पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय होने जा रहे हैं। पवन सिंह की लोकप्रियता युवाओं में खासतौर पर बेहद मजबूत है। उनके गीत और फिल्मों का असर गांव-गांव तक है। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी छवि को वोटों में तब्दील किया जा सकेगा।
भाजपा की रणनीति
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पवन सिंह की वापसी से पार्टी को एक तीर से दो निशाने साधने का मौका मिलेगा। पहला, राजपूत वोट बैंक को साधा जा सकेगा। दूसरा, भोजपुरी फिल्मों के जरिए युवाओं और आम जनता के बीच उनका जो प्रभाव है, उसका सीधा राजनीतिक फायदा भाजपा को मिलेगा। हालांकि, चुनौती यह भी होगी कि पवन सिंह की लोकप्रियता किस हद तक वोटों में तब्दील हो पाती है। साथ ही, विपक्ष उनके खिलाफ “बाहरी” या “ग्लैमर आधारित नेता” का नैरेटिव भी खड़ा कर सकता है। 5 अक्टूबर को पवन सिंह की भाजपा में औपचारिक वापसी बिहार की राजनीति में नया मोड़ साबित हो सकती है। भाजपा चाहती है कि उनकी लोकप्रियता को चुनावी समीकरणों में बदला जाए। खासकर भोजपुरिया बेल्ट में उनकी पकड़ से पार्टी को विधानसभा चुनाव में बढ़त मिल सकती है। अब देखना यह होगा कि भाजपा उन्हें किस सीट से मैदान में उतारती है और क्या पवन सिंह अपनी सिनेमा की लोकप्रियता को राजनीतिक जीत में बदल पाते हैं।

You may have missed