October 28, 2025

पवन सिंह नहीं लड़ेंगे चुनाव, कहा- मैंने टिकट के लिए पार्टी ज्वाइन नहीं की, मैं बीजेपी का सच्चा सिपाही हूं और रहूंगा

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच भोजपुरी सुपरस्टार और भाजपा नेता पवन सिंह ने अपने सोशल मीडिया पर एक ऐसा बयान दिया है जिसने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। हाल ही में भाजपा में दोबारा शामिल हुए पवन सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने पार्टी में वापसी किसी टिकट या चुनावी लालच के लिए नहीं की है, बल्कि वह भाजपा के विचारों से प्रेरित होकर पार्टी की सेवा के लिए लौटे हैं।
चुनाव लड़ने से किया इंकार
शनिवार को पवन सिंह ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक पोस्ट साझा किया जिसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अपनी तस्वीर डाली। इसके साथ उन्होंने लिखा कि वह अपने भोजपुरी समाज को यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने भाजपा में फिर से इसलिए शामिल नहीं हुए कि उन्हें चुनाव लड़ना है या टिकट चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी न तो विधायक बनने की इच्छा है और न ही टिकट पाने की कोई लालसा। पवन सिंह ने यह भी लिखा कि वह पहले भी भाजपा के सच्चे सिपाही थे और आगे भी पार्टी के सच्चे सिपाही बने रहेंगे। उनका यह बयान साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी सीट से उम्मीदवार नहीं बनेंगे।
विवादों के बीच आया बयान
पवन सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है जब पिछले कुछ दिनों से वे लगातार चर्चा में रहे हैं। उनकी पत्नी ज्योति सिंह के साथ सोशल मीडिया पर उभरे विवाद को लेकर भी कई अटकलें लगाई जा रही थीं। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा थी कि भाजपा इस बार उन्हें टिकट देने से परहेज कर सकती है। ऐसे में पवन सिंह के इस बयान को एक तरह की सफाई के रूप में देखा जा रहा है कि वे व्यक्तिगत विवादों से ऊपर उठकर पार्टी और समाज के लिए काम करना चाहते हैं।
पिछला चुनाव और राजनीतिक घटनाक्रम
गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन उन्होंने टिकट वापस कर दिया और बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गए। इस चुनाव में उन्होंने एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं। काराकाट सीट पर भले ही पवन सिंह जीत नहीं पाए, लेकिन उन्होंने एनडीए उम्मीदवार की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके प्रभाव के कारण आसपास की कई सीटों पर भी एनडीए को नुकसान झेलना पड़ा था। यही वजह थी कि बाद में भाजपा ने रणनीतिक तौर पर उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल किया।
बीजेपी में वापसी और मौजूदा स्थिति
भाजपा में वापसी के बाद पवन सिंह को पार्टी के स्टार प्रचारकों में शामिल किए जाने की चर्चा थी। लेकिन अब उनके इस बयान ने यह साफ कर दिया है कि वे चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रखते। उन्होंने अपने बयान से यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनका उद्देश्य राजनीति में पद पाना नहीं बल्कि भाजपा की विचारधारा और भोजपुरी समाज की सेवा करना है। पवन सिंह ने अपने प्रशंसकों और समर्थकों से भी अपील की है कि वे किसी अफवाह या भ्रामक खबरों पर विश्वास न करें। उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व में विश्वास रखते हैं और पार्टी के प्रति समर्पित हैं।
क्या निर्दलीय रूप से उतर सकते हैं मैदान में?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवन सिंह का यह बयान एक रणनीतिक कदम भी हो सकता है। अतीत में वे अचानक निर्णय लेकर निर्दलीय रूप से मैदान में उतर चुके हैं। इसलिए यह संभावना पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता कि यदि किसी विशेष परिस्थिति में टिकट को लेकर असहमति हुई तो वे भविष्य में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, फिलहाल उनके बयान से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वह पार्टी की लाइन पर चलना चाहते हैं और एनडीए के साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने खुद कहा कि वे भाजपा के सिपाही हैं और रहेंगे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे फिलहाल पार्टी से किसी टकराव की स्थिति में नहीं हैं।
एनडीए में पवन सिंह की भूमिका पर निगाहें
भाजपा और एनडीए के अंदरूनी समीकरणों में पवन सिंह की भूमिका हमेशा से चर्चा में रही है। उनका भोजपुरी बेल्ट में जबरदस्त प्रभाव है, विशेषकर पश्चिमी और दक्षिणी बिहार में। पार्टी को उम्मीद है कि पवन सिंह प्रचार के दौरान अपने लोकप्रियता प्रभाव से भाजपा को फायदा पहुंचा सकते हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी उन्हें प्रचार अभियानों में सक्रिय भूमिका दे सकती है ताकि वे भोजपुरी समाज और युवा मतदाताओं को आकर्षित कर सकें। पवन सिंह के इस बयान ने बिहार की चुनावी राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने यह साफ कर दिया है कि उनकी राजनीति सत्ता या पद के लिए नहीं बल्कि विचार और सेवा के लिए है। भाजपा में उनके दोबारा शामिल होने के बाद यह बयान उनकी पार्टी निष्ठा को मजबूत रूप में प्रस्तुत करता है। अब सबकी नजर इस बात पर होगी कि जब भाजपा अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी तो क्या पवन सिंह का नाम उसमें शामिल होगा या वे केवल प्रचारक की भूमिका में नजर आएंगे। फिलहाल इतना तय है कि भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने अपने इस बयान से यह दिखा दिया है कि वह राजनीति में सिर्फ चर्चित नहीं बल्कि सजग और अनुशासित भी हैं।

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