PATNA : घरों में ही विराजे रामलला, सीमित संसाधनों में हुई पूजा, विजयादशमी गुरूवार को

- रवियोग व अश्लेषा नक्षत्र में मना प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव
पटना। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सभी मंदिर तथा धार्मिक स्थल बंद हैं। श्रद्धालुओं ने अपने घरों में सीमित संसाधनों में ही सनातन धर्मावलंबियों के पवित्र त्योहार रामनवमी का जन्मोत्सव मनाया। इस अवसर पर घरों में ध्वज बदले, रामचरितमानस, रामायण, सुंदरकांड, बालकांड, रामरक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ, सत्यनारायण की कथा कर प्रभु श्रीराम से कोरोना रूपी रावण का संहार करने की प्रार्थना की गयी। कुछ श्रद्धालुओं ने महावीर मंदिर का आनलाइन दर्शन कर धूप-दीप दिखाकर पूजा पूर्ण किए। राम नवमी पर बच्चों ने पौधरोपण भी किया।

रवियोग व अश्लेषा में पधारे रामलला
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि चैत्र रामनवमी पर रवियोग के संयोग तथा अश्लेषा नक्षत्र में रामलला घर-घर विराजमान हुए। श्रद्धालुओं ने विधिवत प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया। गंगाजल और पंचामृत से स्नान के बाद नवीन वस्त्र, माला, चंदन, इत्र, पुष्प, धुप-दीप आदि से उनका पूजन किए, फिर भय प्रगट कृपाला, दीनदयाला.. गाते हुए आरती उतारी। मंगल श्लोक का वाचन, धार्मिक पुस्तकों का पाठ कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना किए। धार्मिक मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा करने से वैवाहिक सुख, समृद्धि, पराक्रम, ऐश्वर्य, मान-प्रतिष्ठा व संतान की प्राप्ति तथा दु:ख, क्लेश, भय के साथ नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होता है।
महानवमी पर हवन के बाद हुआ कन्या पूजन
चैत्र नवरात्र करने वाले माता के उपासकों ने पाठ को पूर्ण कर हवन, पुष्पांजलि, देवी को खोइछा देने के बाद कन्याओं के पांव पखारे, फिर उन्हें प्रसाद स्वरूप खीर, पूड़ी, हलवा, चना आदि का भोग दिया। कन्या पूजन के बाद विदाई में अंगवस्त्रम, चुनरी, ऋतुफल व दक्षिणा भेंट की गयी। कल देवी की विदाई कर विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। भगवती से कोरोना रूपी राक्षस का संहार की विनती के साथ विदाई होगी परंतु गुरुवार होने के कारण प्रतिमा या मूर्ति का विसर्जन नहीं होगा।