फार्मासिस्टों के लिए एम फार्मा की पढ़ाई व समस्या निराकरण करेंगे : मंगल

पटना सिटी (आनंद केसरी)। दवा बनाने, रिसर्च से लेकर दवा वितरण का काम फार्मासिस्ट करते हैं। इस समारोह में आने के बाद उनकी समस्याओं को जानने का मौका मिला। पहले से नहीं बताया गया। वे प्रिंसिपल की मांग एम फार्मा की पढ़ाई, फार्मासिस्टों और छात्रों की समस्याओं पर अधिकारियों से साथ विमर्श कर ठोस निर्णय लेंगे। यह बात स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को अगमकुआं स्थित फार्मेसी संस्थान में वर्ल्ड फार्मेसी डे पर डिप्लोमा फार्मासिस्ट्स ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा आयोजित समारोह में बोल रहे थे।
आज दवा ही बीमार है: संस्थान के प्राचार्य शैलेन्द्र कुमार ने अध्यक्षता करते कहा कि बिहार का दवा ही बीमार है। ऐसे में स्वस्थ बिहार की कल्पना करना कैसे संभव है। दवा जांच की बेहतर व्यवस्था नहीं है। बिना फार्मासिस्ट के दवा दुकान चल रहा है। अनेक अस्पताल में फार्मासिस्ट नहीं हैं। संस्थान में भी समस्याओं की भरमार है। संचालन अरविंद कुमार और राजनाथ ने किया। इस दौरान फार्मासिस्ट्स नेता रजत राज ने ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को समस्याओं से अवगत कराया। ऑर्गेनाइजेशन की ओर से मांगपत्र सौंपा गया। इसमें ट्रेनिंग एक रुपया की जगह 300 करने की बात कही गयी। कहा गया कि फीस 85 से बढ़ 8500 और हॉस्टल का 12 से 1200 रुपया लग रहा। सत्र को नियमित किया जाए। अभी दो साल का सत्र 4 साल में पूरा हो रहा। बिहार फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन किया जाए। सभा को मंत्री श्रवण कुमार और विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा ने भी संबोधित किया। मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि फार्मासिस्ट ड़वा बनाने और रिसर्च का काम करते हैं। इनकी भूमिका को वे समझते हैं। इस सबों की बहाली के मामला है। पठन-पाठन की भी समस्या है। वे विभागीय अधिकारियों के साथ इनकी समस्याओं पर चर्चा कर निदान करेंगे। यहां उनकी कोशिश होगी कि दिसंबर तक नियुक्ति हो। यहां एम फार्मा की पढ़ाई के बारे में भी निर्णय होगा। इस संस्थान में डी फार्मा की 1998 और बी फार्मा की 2009 से पढ़ाई हो रही है। मगर नए भवन और हॉस्टल का पूरा इस्तेमाल नहीं हो रहा। लैब, लाइब्रेरी, फेकल्टी, अनियमित सत्र आदि की समस्याएं बरकरार है। भाषण सत्र की समाप्ति के बाद छात्र-छात्राओं ने कल्चरल प्रोग्राम पेश कर खुद को आनंदित किया।

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