बिहार गुरुद्वारा एक्ट पर सहमति नहीं, शोर-शराबा के बाद स्थगित

पटना सिटी (आनंद केसरी)। बिहार गुरुद्वारा एक्ट, 2017 को लेकर पूर्व मुख्य सचिव जीएस कंग की बुलाई मीटिंग रविवार को शुरू होते ही शोर-शराबा शुरू हो गया। इस कारण जब श्री कंग जाने लगे, तो लोगों ने रोका। मगर इस दौरान एक सिख के द्वारा यह कहे जाने कि पांच लोगों की मौजूदगी के बाद भी इसे पास किया जाएगा। इसके बाद भारी शोर-शराबा के साथ आरोप-प्रत्यारोप होने लगा। इससे क्षुब्ध पूर्व मुख्य सचिव श्री कंग मीटिंग स्थगित कर चल दिए। दरअसल में 26 अगस्त को भी इसी मुद्दे को लेकर मीटिंग कॉल की गई थी। उस बार भी कहा गया था कि वर्तमान कमेटी को निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में नई कमेटी के गठित होते ही वह समूह साध संगत, बुद्धिजीवियों और कमेटी से विमर्श कर निर्णय लेगी।
मीटिंग शुरू होते विरोध: मीटिंग के बारे में तख्तश्री कमेटी के महासचिव सरजिन्दर सिंह ने नोटिस जारी किया था। मीटिंग शुरू होते की निर्वाचित सदस्य राजा सिंह, इंद्रजीत सिंह बग्गा, परमजीत सिंह गांधी, सतनाम लाम्बा, मनोहर सिंह बग्गा आदि ने कहा कि जब कमेटी की मीटिंग 9 सितंबर को कॉल की गई है, तो ऐसे में एक दिन पूर्व बैठक बुलाने का कोई औचित्य नहीं है। इसे नई कमेटी पर ही छोड़ दिया जाए। इसी बीच रविन्द्र सिंह ने कहा कि 5 लोग भी रहेंगे, तो एक्ट को पास किया जाएगा। इसी पर शोर-शराबा हुआ और मीटिंग स्थगित हो गई।
नहीं थे वर्तमान और निर्वाचित प्रतिनिधि: मीटिंग में महासचिव सरजिन्दर सिंह और हलका-1 से निर्वाचित राजा सिंह ही मौजूद थे। वरीय उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह, कनीय उपाध्यक्ष कंवलजीत कौर, सचिव महेंद्र सिंह छाबड़ा, मेम्बर के अलावा निर्वाचित लोगों में वरीय उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह, जिला जज से मनोनीत महेन्द्रपाल सिंह ढिल्लन, साउथ बिहार के इंद्रजीत सिंह, नार्थ बिहार के लखविन्दर सिंह गुरुद्वारा के रिहाइश या पटना में रहने के बाद भी मीटिंग में भाग नहीं लिए। इस संबंध में महासचिव ने कहा कि मीटिंग शुरू होते शोर-शराबा के कारण स्थगित कर दिया गया। निर्वाचित सदस्य और पूर्व सचिव राजा सिंह ने कहा कि जानबूझ कर मीटिंग कॉल की गई। जब 11 सितंबर को मीटिंग हुई है, तो एक-दो दिन क्या हो जाता। इस बारे में पूर्व में ही पत्र साध संगत से हस्ताक्षर कर महासचिव के नाम सौंपा गया था।

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