रेमडेसिविर इंजेक्शन का ‘काला’ खेल : डॉक्टर और उसका साला ऐसे कर रहा था खेला

पटना। बिहार में कोरोना के दूसरे लहर में केस जब बेतहाशा बढ़ने लगी थी तब आपदा में अवसर तलाशने वाले माफिया कालाबाजारी करने में जुट गए थे। कोरोना पीड़ित को बचाने में रेमडेसिविर इंजेक्शन मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि उसकी धड़ल्ले से पूरे बिहार में कालाबाजारी होने लगी। कालाबाजारी ने ऐसा जोर पकड़ा था कि एक डोज के लिए 40 से 50 हजार रूपये तक कोरोना पीड़ित के परिवारों से वसूले जा रहे थे। सरकार ने सख्ती बरती तो जालसाजों ने नया तरीका खोज निकाला। ड्रग विभाग से इंजेक्शन किसी और मरीज के नाम पर लेते थे और दूसरे मरीज को मुहमांगी कीमत पर बेच देते थे। इसमें डॉक्टर से लेकर हॉस्पिटल के कर्मचारी तक शामिल थे। इसका खुलासा ईओयू और पटना पुलिस की जांच में हुआ है। अब पुलिस कालाबाजारी और फर्जीवाड़ा का यह खेल कहां से और किसके इशारे पर चल रहा था? इस बारे में पता लगाने में जुटी है। इस खेल में कौन-कौन लोग शामिल हैं? उनकी डिटेल्स हासिल की जा रही है। बता दें 8 मई की शाम कंकड़बाग में ईओयू ने स्थानीय थाना की पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की थी। रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले एक न्यूज पोर्टल के एचआर, उसके साथी और फिर इनकी निशानदेही एक डॉक्टर को पकड़ा गया था। जबकि, चौथा साथी शशि यादव अब भी फरार है।
रिटायर्ड पुलिस अफसर ने भी ब्लैक में खरीदा था इंजेक्शन
हैरत करने वाली बात यह है कि पत्नी की जान बचाने के लिए बिहार पुलिस के एक रिटायर्ड अफसर को भी कालाबाजारी करने वालों को मोटी रकम देकर रेमडेसिविर इंजेक्शन को ब्लैक में खरीदना पड़ा था। लेकिन, काफी सारे रुपए इलाज में खर्च करने के बाद भी रिटायर्ड पुलिस अफसर की पत्नी की जान नहीं बच सकी। यह आपबीती रिटायर्ड अफसर ने बिहार पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा (ईओयू) के कंट्रोल रूम में कॉल कर सुनाई है। अब इस मामले में ईओयू की टीम एक्शन में है। इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। रिटायर्ड पुलिस अफसर को ब्लैक में इंजेक्शन देने वाला कौन शख्स था, उसकी पहचान के साथ ही उसे पकड़ने का जिम्मा एडीजी नैयर हसनैन खान ने डीएसपी स्तर के अधिकारी को सौंपा है।
पूरे राज्य में फैला है नेटवर्क
हॉस्पिटल में एडमिट मरीज के नाम पर रेमडेसिवीर इंजेक्शन को ड्रग कंट्रोलर के जरिए हासिल किया जाता था, लेकिन अधिक रुपए कमाने के चक्कर में उसकी डील दूसरे मरीज के परिवार वालों से कर दी जाती थी। इस इंजेक्शन की कालाबाजारी सिर्फ राजधानी ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार में हुई।
साले के साथ डॉक्टर हो चुका है गिरफ्तार
पटना के सिटी एसपी सेंट्रल विनय तिवारी ने बताया कि 6 मई की रात ईओयू और पटना पुलिस की टीम ने गांधी मैदान थाना क्षेत्र के एसपी वर्मा रोड स्थित रेनबो हॉस्पिटल में छापेमारी की थी। हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अशफाक अहमद और इसके साले अल्ताफ अहमद को रेमडेसिविर के दो डोज के साथ पकड़ा था। इन दोनों से पूछताछ में पता चला कि मरीज का नाम लिखकर डॉक्टर अपने लेटर पैड को ड्रग कंट्रोलर को देता था। फिर, उसके जरिए इंजेक्शन की डोज सरकार की तरफ से निर्धारत तय रेट पर हासिल करके अपने पास रख लेता था। इसके बाद मोटी रकम देने वाले लोगों की तलाश करता था और डील तय होते ही उन्हें बेच दिया करता था।
तलाश में जारी है छापेमारी
पटना सदर के एएसपी संदीप सिंह के अनुसार, जांच के दौरान इस केस में क्लू मिले हैं। उसके आधार पर पड़ताल जारी है। कालाबाजारी और फर्जीवाड़ा का यह खेल कहां से और किसके इशारे पर चल रहा था? इस बारे में पता लगाया जा रहा है। इस खेल में कौन-कौन लोग शामिल हैं? उनकी डिटेल्स हासिल की जा रही है। फरार शशि यादव की तलाश में भी छापेमारी चल रही है।

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