चिंतनीय: बिहार के 18 जिलों के 61 अंचलों के जल में आर्सेनिक की अधिकता, मनुष्य के रक्त भी हो रहे हैं प्रभावित

पटना। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद मुख्यालय के संगोष्ठी कक्ष में पर्षद एवं इवाग एक्वेटिक रिसर्च, स्वीटजरलैंड के साथ मिलकर रिसर्च प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन पर्षद के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष ने किया। इस अवसर पर बैठक में शामिल प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष डॉ. घोष ने कहा कि राज्य के कई हिस्से ऐसे हैं जहां के भूगर्भीय जल आर्सेनिक संदूषण से प्रभावित हैं। यह एक विश्वव्यापी समस्या है। इससे संबंध्ति अनुसंधान एवं अध्ययन को साझा कर हम एक समाधान तक पहुंच सकते हैं। उक्त बैठक में बिहार के विभिन्न जिलों में आहार सेवन के माध्यम से आर्सेनिक संदूषण के बढ़ते खतरों पर महावीर कैंसर संस्थान, एएन कॉलेज एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर एवं इवाग एक्वेटिक रिसर्च, स्वीटजरलैंड द्वारा किये जा रहे अनुसंधान एवं अध्ययन को साझा किया गया। कार्यशाला में करीब 25 प्रतिभागी एवं पर्षद के वैज्ञानिक शामिल थे। इवाग एक्वेटिक रिसर्च के डॉ. जेनिफर इन्युवान एवं बेंजामिन अमबूएल ने विभिन्न देशों में किये रिसर्च के संबंध में अपने विचार को साझा किया। कार्यशाला में डॉ. जजाति मंडल ने बताया कि जल में आर्सेनिक की अध्किता के कारण हमारे अनाज, फल, सब्जी में आर्सेंनिक की मात्रा पायी जा रही है। महावीर कैंसर संस्थान के डॉ. अरूण ने बताया कि बक्सर जिला के सिमरी गांव में आर्सेनिक से प्रभावित काफी रोगी पाये गये हैं। वहां चर्म रोग की अधिकता है। साथ ही महिलाओं में बे्रस्ट कैंसर भी पाया गया है। जल में आर्सेनिक की अधिकता के कारण मनुष्य के रक्त भी प्रभावित हो रहे हैं। मनुष्य के व्यवहार में काफी परिवर्तन देखा जा रहा है। बिहार के 18 जिलों के 61 अंचलों में आर्सेनिक की अधिकता पायी गयी है। बिहार राज्य देश में आर्सेनिक प्रभावित तीसरा बड़ा राज्य है। बैठक में मुख्य रूप से बिहार लोक स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आर. एस. साहु, यूनिसेफ के डॉ. गौतम बसु एवं डॉ. पी. सिन्हा, एन.आई.एच. के डॉ. विश्वजीत चक्रवर्ती डॉ. शत्रुन्जय कुमार सिंह, एएन कॉलेज तथा अन्य रिसर्च स्कॉलर भी शामिल थे।

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