‘पाठशाला खोला दो महाराज कि मोरा जिया पढने को चाहे’

पटना। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाते हुए सदा लोक मंच के नुक्कड़ संवाद श्रृंखला की नई कड़ी में उदय कुमार लिखित एवं निर्देशित नाटक ‘एक और एक ग्यारह’ का प्रदर्शन किया गया। खगौल स्थित दानापुर रेलवे स्टेशन परिसर में महान कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचना ‘पाठशाला खोला दो महाराज कि मोरा जिया पढने को चाहे’ से नाटक की शुरूआत हुई। नाटक में साक्षरता शिक्षा के महत्व को दर्शाया गया। साक्षरता सिर्फ अक्षर और अंक ज्ञान ही नहीं, बल्कि अपने वंचित होने के कारणों को जानना एवं संगठित होकर निदान के उपाय करने का सशक्त माध्यम है। नाटक में कई असाक्षर पात्र आकर अपना दुखड़ा सुनाते हैं। असाक्षर के कारण दैनिक जीवन के साथ यात्रा आदि में भी परेशानी होती है। अंगूठा लगाकर ठगी के शिकार हो जाते हैं। शोषण एवं ठगी के शिकार होकर बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं। महिलाओं में साक्षरता की दर काफी कम है, जिसके कारण अगली पीढ़ी की शिक्षा प्रभावित होती है। असाक्षर महिलाएं कई तरह की उत्पीड़न की शिकार होती हैं। नाटक में इस बात पर जोर दिया गया कि आज भी देश में करोड़ों लोगों का निरक्षर रहना साक्षर लोगों पर बड़ा सवाल है। असाक्षरों को पढ़ाने के लिए सभी शिक्षितों को आगे आना होगा, तभी साक्षरता-शिक्षा की सार्थकता है। अंत में सफदर हाशमी के गीत पढ़ना लिखना सीखो, ओ मेहनत करने वालो से नाटक समाप्त हुआ। कलाकारों में अशोक गिरी, अर्जुन पासवान, उदय कुमार, भूपेंद्र, राजीव रंजन त्रिपाठी, आलोक कुमार, पंकज सिंह, सूरज कुमार आदि शामिल थे।

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