बिहार के 18 जिले आर्सेनिक युक्त जल से हैं प्रभावित

आर्सेनिकयुक्त जल की समस्या और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की चुनौतियां विषय पर संगोष्ठी

पटना। राजधानी के होटल पाटलिपुत्रा अशोका में राज्य में आर्सेनिकयुक्त जल की समस्या और लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की चुनौतियां विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गयी। आयोजित संगोष्ठी को राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा, सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक, भाजपा विधायक संजय सारावगी, आर्सेनिक विशेषज्ञ एवं प. बंगाल के आर्सेनिकयुक्त जल को लेकर गठित टॉस्क फोर्स के अध्यक्ष केजे नाथ एवं वरिष्ठ पत्रकार संजय सिन्हा ने संबोधित किया। संगोष्ठी का आयोजन पटना की एक निबंधित संस्था सहयोग ट्रस्ट द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में सवाल-जवाब सत्र का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में भाग लेने वालों में खासकर स्कूली बच्चों द्वारा विशेषज्ञों से इस विषय से संबंधित प्रश्न पूछे गये। आर्सेनिकयुक्त जल की समस्या बिहार में एक गंभीर विषय है क्योंकि इस प्रदेश के कुल 38 जिलों में से 18 जिले इससे प्रभावित हैं। इस कारण इन जिलों में कैंसर जैसी बिमारी से काफी संख्या में लोग पीड़ित हैं। बिहार में आर्सेनिक से प्रभावित जिलों में सबसे अधिक प्रभावित भोजपुर, बक्सर और भागलपुर जिले हैं। बिहार तथा पड़ोसी राज्य प. बंगाल की करीब 40 प्रतिशत आबादी आर्सेनिकयुक्त जल की उपयोग और इसे पीने को विवश हैं। डॉ. बिंदेश्वर पाठक जिनकी संस्था सुलभ इंटरनेशनल ने आर्सेनिकयुक्त जल की समस्या के निदान के लिये प. बंगाल के 24 दक्षिण परगना में जल शुद्धिकरण की परियोजना शुरु की है, ने इस समस्या के निदान के लिये अधिक से अधिक तकनीक के उपयोग पर बल दिया। वहीं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि सरकार इस विषय पर गंभीर है। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल परियोजना चला रखी है जिसके तहत लोगों को शुद्ध जल आपूर्ति देने का लक्ष्य है। आर्सेनिक विशेषज्ञ केजे नाथ ने इस विषय को लेकर प. बंगाल के अपने अनुभवों को साझा किया। विधायक संजय सरावगी ने इसे लेकर लोगों के बीच जागरुकता पैदा किये जाने पर बल दिया।
वरिष्ठ पत्रकार संजय सिन्हा ने मीडिया इस तरह के विषयों को प्रमुखता के साथ प्रचारित करने पर बल दिया। जिससे की सरकार इसके निदान को लेकर गंभीर और विवश हो।

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