नवादा में अवैध नर्सिंग होम में मरीज की मौत, झोलाछाप डॉक्टर ने किया इलाज, लापरवाही से गई जान

  • स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर उठे सवाल, बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से चल रहे क्लिनिक

नवादा। जिले में अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम और झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही एक बार फिर एक जान पर भारी पड़ गई। नवादा जिले के पकरीबरावां थाना क्षेत्र स्थित तेतरिया बेलदरिया गांव के निवासी कृष्ण मांझी की इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि इलाज में लापरवाही बरती गई और गलत दवा दिए जाने से उनकी जान चली गई। मिली जानकारी के अनुसार, कृष्ण मांझी बीते चार दिनों से बुखार से पीड़ित थे। परिजन उन्हें स्थानीय कथित डॉक्टर प्रवीण के निजी क्लिनिक में इलाज के लिए लेकर गए थे। आरोप है कि डॉक्टर ने बिना किसी जांच के मरीज को इंजेक्शन दिया, जिसके बाद उनकी हालत और बिगड़ने लगी। कुछ ही देर में उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी। जब परिजनों ने डॉक्टर से स्थिति को लेकर सवाल किया तो वह गोलमोल जवाब देने लगा और जल्दबाजी में उन्हें सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। परिजन जब मरीज को सदर अस्पताल लेकर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल के डॉक्टरों ने कृष्ण मांझी को मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और एक बेटी हैं, जो अब बेसहारा हो गए हैं। गंभीर आरोप यह भी है कि मरीज की हालत बिगड़ने के बाद झोलाछाप डॉक्टर ने अपना क्लिनिक आनन-फानन में बंद कर दिया और मौके से फरार हो गया। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। जिले में ऐसे कई अवैध नर्सिंग होम और क्लिनिक हैं जो बिना लाइसेंस और अनुभव के लोगों के हाथों में हैं। स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो विभाग को इस तरह के फर्जी क्लिनिक और झोलाछाप डॉक्टरों की जानकारी पहले से है, लेकिन समय-समय पर औपचारिक कार्रवाई करके केवल क्लिनिक को कुछ दिनों के लिए सील किया जाता है। कुछ ही दिनों बाद वही डॉक्टर या क्लिनिक संचालक दूसरे स्थान पर या किसी अन्य नाम से फिर से अपना धंधा शुरू कर देते हैं। स्थानीय लोगों और मृतक के परिजनों ने मांग की है कि आरोपी डॉक्टर को जल्द गिरफ्तार किया जाए और उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को जिले भर में चल रहे अवैध नर्सिंग होम, क्लिनिक और अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक आम लोग इस तरह की लापरवाहियों का शिकार होते रहेंगे? क्या स्वास्थ्य विभाग सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करता रहेगा या असल में दोषियों को सजा दिलाकर इस व्यवस्था में सुधार करेगा? अब देखना होगा कि प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा इस गंभीर मामले को लेकर कितनी गंभीरता दिखाता है।

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