परसा में पिता-पुत्र ट्रेन से कटे,परिवार में मचा चीत्कार,पिता को बचाने के चक्कर में पुत्र ने भी गंवाई जान

फुलवारी शरीफ।पटना के परसा बाजार थाना अंतर्गत पटना गया रेलखंड के महुली हाल्ट के नजदीक ट्रेन से कटकर पिता व पुत्र की जान चली गयी।इस घटना के बाद परिवार में चीत्कार मच गया।सूचना मिलते ही पहुची जीआरपी ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले गयी। घटनास्थल पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गयी थी।एक साथ पिता पुत्र की दर्दनाक मौत से मौलाना बुद्धूचक गाँव में मातम पसर गया। मृतको में पिता अजय रविदास ( उम्र 45 वर्ष ) एवं पुत्र रघुवीर रविदास (उम्र पच्चीस वर्ष ) शामिल हैं।मृतक साइकिल पर कबाड़ी चुनकर जीवन यापन करते थे।
घटना के बारे में कई तरह की चर्चा है। ग्रामीणों में चर्चा है की पारिवारिक झगडे में गुस्से में आकर अजय रविदास ट्रेन से कटने जा रहे थे तभी उन्हें बचाने में उनका पुत्र रघुवर रविदास भी ट्रेन से कट गया।वहीँ पारिवारिक लोगों का कहना है की अजय रविदास अपने पुत्र रघुवर रविदास के साथ बुधवार को जहानाबाद गये थे। वहां से देर रात लौटने के दौरान ट्रेन हादसे का शिकार हो गये।ग्रामीणों को दुर्घटना की जानकारी गुरुवार की अहले सुबह उस वक्त लगी जब लोग खेतो में खाद छिडकाव करने जा रहे थे तो रेल ट्रैक पर दो शव देख रोंगटे खड़े हो गये।देखते ही देखते वहां ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गयी।ग्रामीणों ने मौलाना बुद्धुचक निवासी अजय रविदास और उसके पुत्र रघुवर रविदास के पुत्र में शिनाख्त की तो परिवार में कोहराम मच गया। रोते बिलखते परिजन घटनास्थल पर पहुंचकर विलाप करने लगे।सूचना मिलते ही मौके पर परसा बाजार थाना व जीआरपी पहुंची ।परसा बाजार थानेदार संजय प्रसाद ने बताया की दोनों लाशें आवश्यक कागजी करवाई के बाद जीआरपी पोस्टमार्टम के लिए ले गयी।बीडीओ जफरुद्दीन ने बताया की घटना के बारे में विस्तृत जानकारी लेने के बाद ही मुआवजे के बारे में बता पाएंगे।

पति और बेटे की लाश देख माँ का रो रो कर फटा कलेजा

एक साथ पति और पुत्र की लाश देख अजय रविदास की पत्नी छाती छाती पीटपीट कर विलाप करने लगी। वह बार बार बेशोश हो जाती और फिर होश में आने पर चीत्कार करने लगती। मृतक अजय रविदास के दो पुत्र विकास और छठु सहित एक बेटी भी पिता और भाई के शव से लिपट कर विलाप करते रहे। एक ही परिवार के दो सदस्यों के ट्रेन से कट मौत के बाद ग्रामीणों में मातम पसरा रहा।आस पास के कई घरों में चूल्हा नही जला।गाँव की महिलाएं रोते कल्पते परिजनों को चुप कराने में खुद ही बिलखने लगटी ।पूरे गांव में सभी लोगो की आँखे नम थी।

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