पप्पू यादव का नीतीश को ऑफर, कहा- बीजेपी आपको सीएम नहीं बनाएगी, कांग्रेस में आए, स्वागत और सम्मान होगा
- एनडीए में खींचतान के बीच कांग्रेस खेमे की सक्रियता, आरके सिंह और कुशवाहा के बयानों से बढ़ी राजनीतिक हलचल
पटना। बिहार की राजनीति में इस वक्त बयानबाजी का दौर चरम पर है। चुनावी सरगर्मी के बीच मंगलवार को पूर्णिया के सांसद और जन अधिकार पार्टी (जाप) के प्रमुख राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर ऐसा बयान दिया है जिसने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस में आने का खुला ऑफर देते हुए कहा कि अगर वे चाहें तो कांग्रेस में उनका “सम्मान और स्वागत दोनों होगा।” पप्पू यादव ने कहा, “अगर नीतीश कुमार कांग्रेस में आते हैं तो चुनाव के बाद भी उन्हें सम्मान मिलेगा। कांग्रेस हमेशा अपने सहयोगियों का आदर करती है। वह (नीतीश) आएं, स्वागत है, कांग्रेस उनका सम्मान करेगी।” इस बयान को उन्होंने उस समय दिया, जब बिहार में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और महागठबंधन दोनों ही खेमों में अंदरूनी खींचतान और रणनीतिक उलझनें साफ तौर पर नजर आ रही हैं।
पप्पू यादव बोले- अकेला पप्पू यादव एनडीए पर भारी
पत्रकारों से बातचीत में पप्पू यादव ने यह भी कहा कि महागठबंधन में भले कुछ मतभेद दिख रहे हों, लेकिन वह खुद एनडीए पर “भारी” हैं। उन्होंने कहा, “अकेला पप्पू यादव पूरे एनडीए पर भारी है। यह सवाल बीजेपी नेताओं से पूछिए कि उनके अंदर एकजुटता कहां है? वे खुद अपने मुख्यमंत्री चेहरे पर एकमत नहीं हैं। बीजेपी के भीतर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने की चर्चा है, जबकि जनता अब सब समझ चुकी है।” उन्होंने नीतीश कुमार को नसीहत देते हुए कहा कि भाजपा अब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। “नीतीश जी को सोचना चाहिए कि अब बीजेपी उनका इस्तेमाल कर रही है। उन्हें सम्मान कांग्रेस में ही मिलेगा,” पप्पू यादव ने कहा।
बीजेपी में भी उठी अंदरूनी आवाजें, आरके सिंह ने खोला मोर्चा
इधर भाजपा खेमे में भी असंतोष की आवाजें उठने लगी हैं। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी समेत आठ उम्मीदवारों को ‘भ्रष्ट और आपराधिक छवि वाला’ करार दिया है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा, “ऐसे नेताओं को वोट न दें। अगर ऐसे लोगों को वोट देना पड़े तो उससे अच्छा है ‘नोटा’ दबा दीजिए। ऐसे लोगों को वोट देने से अच्छा है कि आदमी चुल्लू भर पानी में डूब मरे।” आरके सिंह के इस बयान ने भाजपा में खलबली मचा दी है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे अनुशासनहीनता बताया है, जबकि आरके सिंह अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में अपराधीकरण की प्रवृत्ति अब भाजपा में भी बढ़ रही है, जिससे पार्टी की छवि खराब हो रही है।
एनडीए में ‘सब ठीक’ बताने में जुटे उपेंद्र कुशवाहा
दूसरी ओर एनडीए की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति मंच (आरएलएम) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि एनडीए में सब कुछ ठीक है और गठबंधन मजबूती से चुनाव लड़ रहा है। उन्होंने कहा, “एनडीए एकजुट है और महागठबंधन से बहुत आगे चल रहा है। सीट बंटवारा हो चुका है और हम पूरी रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं। कुशवाहा ने महागठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा कि “महागठबंधन में शामिल दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पास कोई साझा रणनीति नहीं है। वहीं एनडीए ने एकजुटता दिखाते हुए उम्मीदवारों की घोषणा पूरी कर ली है।”
राजनीतिक समीकरणों में हलचल, नीतीश की भूमिका पर सबकी निगाहें
पप्पू यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक भूमिका को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार का भाजपा से गठबंधन फिर से बनना और जदयू के भीतर असंतोष के स्वर, यह संकेत दे रहे हैं कि बिहार की राजनीति अभी स्थिर नहीं है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पप्पू यादव का यह बयान एक रणनीतिक पहल हो सकता है। दरअसल, बिहार में कांग्रेस पार्टी फिलहाल महागठबंधन के तहत राजद के साथ है, लेकिन अगर राजद के साथ मतभेद बढ़ते हैं तो कांग्रेस नीतीश कुमार को अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकती है। नीतीश कुमार, जो पहले ही कई बार राजनीतिक गठबंधन बदल चुके हैं, ऐसे किसी प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाएंगे, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।
महागठबंधन में असंतोष, एनडीए में असहजता
बिहार में इस वक्त दोनों गठबंधन अंदरूनी असंतोष से जूझ रहे हैं। महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर असहमति की खबरें हैं, वहीं मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी भी उपेक्षा का आरोप लगा चुकी है। उधर एनडीए में आरके सिंह जैसे वरिष्ठ नेता खुलेआम पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में पप्पू यादव का बयान इस चुनावी समर में एक नया राजनीतिक संकेत दे रहा है। उन्होंने साफ कहा कि “अब बिहार की राजनीति में जनता पारंपरिक गठबंधनों से ऊब चुकी है। उसे ऐसे नेताओं की जरूरत है जो बिना स्वार्थ और ईमानदारी से जनता के मुद्दों पर खड़े हों।”
कांग्रेस में सक्रियता, नीतीश पर नजर
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी लगातार नीतीश कुमार और जदयू पर नजर बनाए हुए है। कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि अगर जदयू और भाजपा के बीच मतभेद गहराते हैं तो नीतीश कुमार को विपक्षी खेमे में लाने की रणनीति तैयार की जा सकती है। हालांकि, कांग्रेस ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। लेकिन पप्पू यादव जैसे प्रभावशाली नेता का यह बयान संकेत देता है कि विपक्षी खेमे में नीतीश कुमार को लेकर दरवाजे खुले रखे गए हैं। बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिखाई दे रही है। पप्पू यादव का नीतीश कुमार को कांग्रेस में आने का आमंत्रण, भाजपा नेता आरके सिंह का अपनी ही पार्टी पर हमला और उपेंद्र कुशवाहा का एनडीए की मजबूती का दावा ये सभी बयान इस बात का संकेत हैं कि चुनावी मौसम में गठबंधन राजनीति की जमीन खिसक रही है। अब देखना यह होगा कि क्या नीतीश कुमार इस ऑफर पर कोई प्रतिक्रिया देते हैं या हमेशा की तरह अपनी ‘राजनीतिक चुप्पी’ बनाए रखते हैं। फिलहाल, पप्पू यादव का यह बयान बिहार की सियासत में एक नए समीकरण की संभावनाओं को जन्म देता नजर आ रहा है।


