बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान जल्द, 3 महीने से सैलरी का इंतजार
पटना। बिहार के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि सभी श्रेणी के शिक्षकों को मार्च महीने के वेतन के साथ-साथ उनका बकाया वेतन भी एक सप्ताह के भीतर भुगतान कर दिया जाए। इस फैसले से लंबे समय से वेतन की प्रतीक्षा कर रहे शिक्षकों में राहत की लहर दौड़ गई है।
विभाग ने जारी किया सख्त निर्देश
शिक्षा विभाग के उप सचिव अमित कुमार पुष्पक की ओर से जारी पत्र में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतर्गत जिलों में कार्यरत शिक्षकों को नियमों के अनुसार बकाया और चालू वेतन का भुगतान किया जाए। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि भुगतान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसकी जानकारी विभाग को भी भेजी जाए।
32 हजार से अधिक शिक्षकों को वेतन का इंतजार
राज्य भर में लगभग 32 हजार ऐसे शिक्षक हैं जो सक्षमता परीक्षा पास कर ‘नियोजित’ से ‘विशिष्ट’ शिक्षक की श्रेणी में आ चुके हैं। इनमें से कुछ शिक्षकों के प्रान (PRAN) नंबर अभी तक जेनरेट नहीं हो पाए हैं, जबकि कुछ के नंबर पहले ही बन चुके हैं। इसके बावजूद तीन महीने से वेतन नहीं मिलने की वजह से ये शिक्षक गंभीर आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
बैंक किश्तें नहीं भर पाने से बढ़ी परेशानी
वेतन रुकने से सबसे अधिक परेशानी उन शिक्षकों को हुई है, जिन्होंने निजी जरूरतों के लिए बैंक से ऋण लिया हुआ है। वेतन न मिलने की स्थिति में ये शिक्षक बैंक की किश्तें समय पर नहीं भर पा रहे हैं, जिससे मानसिक तनाव और आर्थिक संकट दोनों बढ़ गया है। ऐसे में सरकार की ओर से बकाया वेतन भुगतान का आदेश उनके लिए राहत भरी खबर है।
विभाग की तत्परता से उम्मीदें जगीं
शिक्षा विभाग की इस पहल से अब यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में शिक्षकों को समय पर वेतन मिलने लगेगा और बकाया भुगतान की प्रक्रिया भी पारदर्शी रूप से पूरी होगी। इससे शिक्षकों का मनोबल भी बढ़ेगा और वे अपने कार्य में अधिक मन लगाकर योगदान दे सकेंगे।
आगे की प्रक्रिया पर नजर
जिला शिक्षा पदाधिकारी अब विभाग के निर्देश पर अमल करते हुए वेतन भुगतान की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण करने में जुट गए हैं। शिक्षकों को यह उम्मीद है कि एक सप्ताह के भीतर उन्हें वेतन मिल जाएगा और उनकी लंबी आर्थिक परेशानियां कुछ हद तक कम होंगी। यह निर्णय न केवल शिक्षकों के लिए सुकूनदायक है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के सुचारु संचालन में भी सहायक साबित होगा।


