कश्मीर के नए सीएम बनेंगे उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला ने किया बड़ा ऐलान

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के ताज़ा रुझानों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बहुमत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में बड़ी हलचल मच गई है। 90 सीटों वाली विधानसभा में 46 सीटों का बहुमत आंकड़ा है, और गठबंधन 46 सीटों पर आगे चल रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से 41 सीटों पर बढ़त के साथ वह प्रमुख ताकत बनकर उभरी है, जबकि कांग्रेस 5 सीटों पर आगे है। इन चुनावी परिणामों के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बड़ा ऐलान किया है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे। फारूक अब्दुल्ला के इस ऐलान से नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई है। उमर अब्दुल्ला, जो पहले भी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, एक अनुभवी और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। फारूक अब्दुल्ला का यह बयान उन कयासों पर भी विराम लगाता है जो चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर लगाए जा रहे थे। उमर अब्दुल्ला की वापसी को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चा हो रही थी, और अब फारूक अब्दुल्ला के इस ऐलान से यह साफ हो गया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस एक बार फिर उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में कश्मीर की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएगी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दो सीट पर चुनाव लड़े। बडगाम में उन्हें जीत मिली, गांदरबल पर आगे चल रहे हैं। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट से पीछे हैं। उन्होंने कहा- मैं लोगों के फैसले को स्वीकार करती हूं। उधर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना नौशेरा सीट से हार गए हैं। जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक 3 फेज में 63.88% वोटिंग हुई थी। 10 साल पहले 2014 में हुए चुनाव में 65% वोटिंग हुई थी। इस बार 1.12% कम वोटिंग हुई। 5 अक्टूबर को आए एग्जिट पोल में 5 सर्वे में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस की सरकार को बहुमत दिया था। 5 एग्जिट पोल में हंग असेंबली का अनुमान जताया गया है। यानी छोटे दल और निर्दलीय विधायक किंगमेकर होंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की बढ़त
इस बार के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपनी पुरानी पकड़ को मजबूत किया है और कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा है। 90 सीटों वाली विधानसभा में गठबंधन 46 सीटों पर आगे चल रहा है, जो उन्हें सरकार बनाने की स्थिति में ला रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जहां 41 सीटों पर बढ़त बना रखी है, वहीं कांग्रेस ने 5 सीटों पर अपना प्रभाव जमाया है। यह गठबंधन राज्य में भाजपा और अन्य दलों के खिलाफ एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरा है।
भाजपा और पीडीपी की स्थिति
इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 29 सीटों पर आगे चल रही है, लेकिन यह आंकड़ा उन्हें बहुमत से काफी दूर रखता है। भाजपा ने इस चुनाव में आक्रामक चुनावी प्रचार किया था और अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन फिलहाल के रुझान बताते हैं कि पार्टी बहुमत से पीछे रह जाएगी। वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जो पिछले चुनावों में एक महत्वपूर्ण शक्ति थी, इस बार केवल 4 सीटों पर आगे चल रही है। यह पीडीपी के लिए एक बड़ा झटका है, जो पिछले कुछ वर्षों में अपनी पकड़ कमजोर करती जा रही है।
निर्दलीय और छोटी पार्टियों का उभार
इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार और छोटी पार्टियां भी अपनी जगह बना रही हैं। 9 सीटों पर निर्दलीय और छोटी पार्टियों के उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं, जो यह दर्शाता है कि राज्य की राजनीति में इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अक्सर यह पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और गठबंधन की राजनीति में इनका समर्थन निर्णायक साबित हो सकता है।
उमर अब्दुल्ला का मुख्यमंत्री बनना तय
फारूक अब्दुल्ला के बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन बहुमत हासिल करता है, तो उमर अब्दुल्ला ही अगले मुख्यमंत्री होंगे। उमर अब्दुल्ला को राज्य की राजनीति में एक संतुलित और अनुभवी नेता के रूप में देखा जाता है। उनके पिछले कार्यकाल में उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे, और राज्य के विकास के लिए भी कई प्रयास किए थे। उनकी मुख्यमंत्री पद पर वापसी को लेकर उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह है। फारूक अब्दुल्ला ने भी उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य को उमर अब्दुल्ला जैसा युवा और दूरदर्शी नेता चाहिए। उमर अब्दुल्ला की छवि एक सुलझे हुए नेता की है, जो कश्मीर के लोगों के साथ बेहतर संवाद स्थापित कर सकते हैं और राज्य को विकास की दिशा में ले जा सकते हैं।
राज्य की राजनीति में बदलाव
इस चुनाव के नतीजे जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। भाजपा, जो पिछले कुछ समय से राज्य की राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही थी, इन नतीजों से पीछे रह सकती है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की जीत राज्य में नए राजनीतिक समीकरण स्थापित कर सकती है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के रुझानों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बहुमत के करीब पहुंचकर एक नया राजनीतिक अध्याय लिखने की तैयारी कर ली है। फारूक अब्दुल्ला द्वारा उमर अब्दुल्ला को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने के ऐलान से यह साफ हो गया है कि राज्य की बागडोर अब उमर के हाथों में आने वाली है। वहीं, भाजपा और पीडीपी के कमजोर प्रदर्शन ने इन दलों को एक बार फिर से अपने राजनीतिक भविष्य पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। जम्मू-कश्मीर की राजनीति में यह बदलाव आने वाले समय में और भी बड़े परिणाम ला सकता है।
