प्रसिद्ध शिक्षक अवध ओझा आम आदमी पार्टी मे हुए शामिल, केजरीवाल ने दिलाई सदस्यता

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज मोटिवेशनल स्पीकर और शिक्षक अवध ओझा को पार्टी में शामिल कराया। उनके लंबे समय से पार्टी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। अवध ओझा मोटिवेशनल स्पीकर हैं और यूपीएससी के अभ्यर्थियों को पढ़ाते हैं। उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से छात्रों में एक अलग पहचान बनाई है। पार्टी में शामिल कराने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अवध ओझा का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में काफी अतुलनीय है। उनके पार्टी में शामिल से देश का बड़ा फायदा होगा। उनके आने से पार्टी को भी मजबूती मिलेगी। अवध ओझा ने पहले भी राजनीति में उतरने की इच्छा जाहिर की थी। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में उनके चुनावी मैदान में उतरने की चर्चाएं उठी थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य राजनीतिक दलों से टिकट न मिलने के कारण वे चुनावी समर में शामिल नहीं हो पाए थे। दरअसल, अवध ओझा यूपी से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, और उनके मन में विशेष रूप से प्रयागराज से बीजेपी का टिकट लेने की उम्मीद थी। हालांकि, टिकट न मिलने के कारण उन्होंने अपना प्लान बदल लिया। इसके अलावा, यह भी चर्चा में था कि कांग्रेस की तरफ से उन्हें अमेठी से टिकट दिए जाने की संभावना थी। हालांकि अब अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। अवध ओझा का जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ था। उनकी मां एक वकील थीं और पिता सरकारी पोस्टमास्टर थे। अवध ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोंडा के फातिमा स्कूल से प्राप्त की है। उनके माता-पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने, लेकिन अवध का सपना कुछ और था। उनका उद्देश्य था यूपीएससी परीक्षा पास करना और देश की सेवा करना। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, अवध ओझा ने उच्च शिक्षा के लिए प्रयागराज का रुख किया। यहीं पर उन्होंने यूपीएससी के बारे में सुना और इस क्षेत्र में करियर बनाने का फैसला किया लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में असफल होने के बाद, उनके माता-पिता काफी नाराज हुए। फिर भी, अवध ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई करते रहे। यूपीएससी में असफलता के बाद, उन्होंने नौकरी न करने का फैसला किया और अपनी कोचिंग शुरू करने की योजना बनाई। अवध ओझा ने एक इंटरव्यू में बताया कि “घर से निकाले जाने के बाद मुझे एक कोचिंग संस्थान में इतिहास पढ़ाने का मौका मिला, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि कैसे पढ़ाना है। फिर भी मैंने पढ़ाना शुरू किया और धीरे-धीरे बच्चों को मेरा तरीका पसंद आने लगा।” इसी के साथ उनकी कोचिंग यात्रा की शुरुआत हुई, और साल 2005 में दिल्ली के मुखर्जी नगर में उन्होंने यूपीएससी कोचिंग का संस्थान खोला।
