न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं प्रशांत,जदयू नेता द्वारा धोखाधड़ी मामला में इंसाफ के लिए

पटना।राजधानी के युवा कंप्यूटर व्यवसायी प्रशांत जायसवाल के साथ हुई 25 लाख रुपए के धोखाधड़ी के मामले में पटना पुलिस के हाथ अभी तक खाली है। इस चर्चित मामले में व्यवसायी प्रशांत जायसवाल ने एक जदयू नेता राजीव रंजन को अभियुक्त बनाया है।मामला जमीन देने के एवज में रकम लेकर धोखाधड़ी करने से संबंधित है। व्यवसायी प्रशांत जायसवाल के अनुसार जदयू नेता राजीव रंजन ने जमीन देने के नाम पर उनसे 25 लाख रुपए जालसाजी के जरिए ठग लिए। इस मामले से संबंधित एफआइआर उन्होंने गत वर्ष दिसंबर माह में ही दर्ज कराया है। पटना पुलिस के वरीय पदाधिकारियों द्वारा जांच के क्रम में मामला को सही भी पाया गया।मगर अभी तक इस मामले से जुड़े अभियुक्त को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। प्रशांत का अनुसार हुए छह महीने से पटना पुलिस के बड़े अधिकारियों से लेकर सत्ताधारी दल के कई नेताओं के चौखट तक न्याय की आस में दौड़ लगा चुके हैं। मगर अभी तक उन्हें कहीं से इंसाफ नहीं मिला।

यह पूरा मामला जमीन बिक्री की आवाज में जालसाजी के तहत रकम हड़प लेने का है। जानकारी के अनुसार जदयू का एक स्वयंभू नेता राजीव रंजन ने पटना के एक युवा कंप्यूटर व्यवसायी प्रशांत जायसवाल से लगभग साढे पच्चीस लाख की ठगी कर रखी है।इस मामले में पटना के कोतवाली थाना में ठगी का एक मामला भी दर्ज कराया गया। जदयू से जुड़े जालसाज ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन दिया कोर्ट ने इस मामले में उसके अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया।

जदयू के नेता का नाम राजीव रंजन बताया जाता है।जो वैशाली जिले के तिसौथा थाने के तहत लोमा गांव का रहने वाला है। राजीव रंजन पूर्व में जद यू पटना महानगर इकाई का अध्यक्ष भी रह चुका है।लेकिन लंबे वक्त से गायब बताया जाता है।ठगी का मामला सत्ताधारी दल जदयू के नेता से जुड़ा है,शायद इसलिए भी पुलिस कार्रवाई करने से परहेज कर रही है। इस मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के उपरांत भी पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ गिरफ्तारी अधिपत्र हेतु आवेदन नहीं दिया है।

मामले के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार पाटलिपुत्र के नेहरू विहार अपार्टमेंट में रहने वाले प्रशांत जायसवाल कंप्यूटर व्यवसायी हैं। पटना के एसपी वर्मा रोड में उनका कारोबार है।यह मामला वर्ष 2014 का है।दरअसल अभियुक्त राजीव रंजन का मुजफ्फरपुर के कन्हौली में एक कट्ठा 16 धूर का एक प्लॉट था। जो राजीव रंजन की मां मृदुला सिन्हा के नाम पर निबंधित था।उस समय राजीव रंजन ने प्रशांत जायसवाल के पास उस जमीन को बेचने की पेशकश रखी।प्लॉट को देखने और समझने के बाद 32 लाख 40 हजार रुपए पर पूरी जमीन को बेचने की डील तय हुई थी।अपने दुकान पर ही प्रशांत ने राजीव और उसकी वाइफ पल्लवी के हाथ में सबसे पहले सात लाख रूपय नगद अदा किया था। इसके बाद बैंक ट्रांसफर के जरिए 18 लाख 50 हज़ार रूपये उन दोनों के खातों में जमा करवाएं।कुल 25 लाख 50 हजार रुपया देने के बाद 17 मई 2015 को जमीन का एकरारनामा बना था।कुल रकम अदायगी के लिए 6 माह का समय निर्धारित था। मगर कुछ समय बाद ही राजीव रंजन के माता पिता का एक दुर्घटना में दुखद मौत हो गई।घटना के बाद से प्रशांत उस समय जमीन लेने के लिए बिल्कुल भी नहीं हड़बड़ाएं। मगर प्रशांत के अनुसार कुछ समय बीतने के बाद जब उन्होंने जमीन की रजिस्ट्री करवाने की इच्छा जताई तो राजीव रंजन लेटलतीफी पर आमादा हो गया।

प्रशांत जायसवाल ने बताया कि जब वे जमीन की रजिस्ट्री के लिए बार-बार राजीव रंजन से आग्रह करने लगे।मगर तभी राजीव रंजन के तरफ से कोई सक्रियता नहीं दिखी उन्हें शक हुआ और वे उस प्लॉट के बारे में जांच-पड़ताल आरंभ किया।तो पता चला कि उस जमीन को 24 नवंबर 2015 को ही मुजफ्फरपुर की रहने वाली रजनी कुमारी के हाथों एक कट्ठा और 8 जनवरी 2016 को श्वेता प्रसाद के हाथों 16 धुर जमीन राजीव रंजन ने गुपचुप तरीके से बेच डाली थी। इस तरह से राजीव रंजन के द्वारा धोखाधड़ी के शिकार हो गए तो प्रशांत जायसवाल प्रशांत को ना तो जमीन मिली और ना ही उनका पैसा।नतीजतन अंत में प्रशांत ने क़ानून का सहारा लिया और कोतवाली थाने में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज करा दी। आरक्षी अधीक्षक एवं आरक्षी उपाधीक्षक द्वारा इस मामले के अनुसंधान करने पर प्रथम दृष्टया यह मामला सत्य प्रतीत हुआ। मगर इसके बावजूद अभी तक अभियुक्त के विरुद्ध कार्रवाई लंबित है।निराश युवा व्यवसायी प्रसाद जायसवाल इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहे हैं।मगर अभी तक उन्हें कहीं से कोई ठोस आश्वासन तक नहीं मिला है। निराश प्रशांत बताते हैं कि अगर कानून के हाथ लंबे हैं तो राजीव रंजन अब तक पकड़ में क्यों नही आया।

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