पटना में लापता नर्सिंग का छात्र भोजपुर से बरामद, गुस्से में छोड़ा था घर, फोन किया था स्विच ऑफ

पटना। जिले के बिहटा थाना क्षेत्र के गुलामअली चक गांव से लापता हुए एक नर्सिंग छात्र करण कुमार को पुलिस ने भोजपुर जिले से बरामद कर लिया है। 20 वर्षीय करण, जो कि नर्सिंग की पढ़ाई कर रहा है, 1 मई की सुबह बिना किसी को बताए घर से निकल गया था। उसके लापता होने के बाद परिवारवालों में बेचैनी फैल गई थी।
मोबाइल बंद और सुराग की कमी से बढ़ी चिंता
करण के अचानक गायब हो जाने के बाद जब परिजनों ने उसका मोबाइल नंबर मिलाया, तो वह स्विच ऑफ मिला। मोबाइल बंद हो जाने से छात्र का कोई सुराग नहीं मिल सका। परिवार ने उसकी तलाश खुद शुरू की, दोस्तों और जान-पहचान वालों से पूछताछ की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई।
पिता ने दर्ज कराई गुमशुदगी, पुलिस ने शुरू की तफ्तीश
करण के पिता सुदर्शन उपाध्याय ने 1 मई को बिहटा थाना में अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने पुलिस को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तफ्तीश शुरू की। तकनीकी सहायता और मोबाइल लोकेशन के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया।
भोजपुर के आरा से मिला छात्र
मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस की टीम को करण की लोकेशन भोजपुर जिले के आरा बाजार क्षेत्र में मिली। भोजपुर पुलिस की सहायता से बिहटा पुलिस की टीम 2 मई को आरा पहुंची और छात्र को सकुशल बरामद कर लिया। पूछताछ में करण ने बताया कि वह किसी पारिवारिक या व्यक्तिगत कारण से नाराज होकर खुद ही घर छोड़कर निकल गया था।
गुस्से में छोड़ा था घर
थानाध्यक्ष राजकुमार पांडे के अनुसार, पूछताछ के दौरान करण ने बताया कि वह किसी बात को लेकर घर से नाराज था और इसी वजह से बिना बताए निकल गया था। उसने जानबूझकर अपना मोबाइल भी बंद कर दिया ताकि कोई संपर्क न कर सके।
परिवार को सौंपा गया छात्र
पुलिस ने पूरी जांच के बाद करण को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है। बेटे के सकुशल मिलने पर परिजनों में राहत और खुशी का माहौल है। परिवार ने इस त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई के लिए बिहटा थाना पुलिस का आभार जताया है।
पुलिस कर रही आगे की कार्रवाई
हालांकि छात्र की बरामदगी के बाद कोई आपराधिक गतिविधि सामने नहीं आई है, लेकिन पुलिस नियमानुसार आगे की कानूनी प्रक्रिया भी पूरी कर रही है। इस घटना से स्पष्ट होता है कि कभी-कभी घरेलू या मानसिक तनाव के कारण युवा ऐसे कदम उठा लेते हैं। ऐसे में परिवारों को संवाद बनाए रखने और बच्चों की भावनात्मक स्थिति को समझने की जरूरत होती है ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।
