बिहार उपचुनाव: बेलागंज से 3 और इमामगंज से 2 प्रत्याशियों का नामांकन रद्द, 13 को होना है मतदान

पटना। बिहार में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की सरगर्मी जोरों पर है। इनमें गया जिले के बेलागंज और इमामगंज दो महत्वपूर्ण सीटें हैं, जहां प्रत्याशी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 13 नवंबर को इन सीटों पर मतदान होगा। हाल ही में नामांकन की स्क्रूटनी के बाद बेलागंज और इमामगंज सीट से पांच प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं, जिससे दोनों सीटों पर मुकाबला और भी रोचक हो गया है।
बेलागंज में 14 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला
बेलागंज विधानसभा उपचुनाव में 17 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था, जिसमें से तीन प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं। इनमें पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया के जितेंद्र यादव, निर्दलीय सुरेंद्र यादव और शंभू कुमार शामिल हैं। इस तरह अब बेलागंज से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में बचे हैं। बेलागंज में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह, एनडीए से जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से मनोरमा देवी, जन सुराज पार्टी से मोहम्मद अमजद और एआईएमआईएम से मोहम्मद जावेद अली हैं। इन सभी उम्मीदवारों के बीच अब कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। एनडीए और राजद के बीच मुकाबला यहां सबसे दिलचस्प माना जा रहा है, वहीं एआईएमआईएम और जन सुराज जैसे क्षेत्रीय दल भी अपना असर छोड़ सकते हैं।
इमामगंज में 9 प्रत्याशियों के बीच संघर्ष
इमामगंज विधानसभा सीट पर 10 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन भरा था, लेकिन स्क्रूटनी के दौरान राष्ट्रीय जनतंत्र मोर्चा की सीमा कुमारी का नामांकन रद्द कर दिया गया। इस प्रकार अब इमामगंज से कुल 9 प्रत्याशी मैदान में बचे हैं। इमामगंज में प्रमुख उम्मीदवारों में राजद से रौशन मांझी, जन सुराज पार्टी से डॉ. जितेंद्र पासवान और एनडीए से जदयू की दीपा मांझी के बीच प्रमुख मुकाबला देखने को मिल सकता है। गया क्षेत्र में मांझी परिवार की गहरी पकड़ मानी जाती है, और इस उपचुनाव में जदयू की दीपा मांझी को उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का समर्थन भी प्राप्त है। वहीं, राजद और जन सुराज भी यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उपचुनाव के कारण और राजनीतिक स्थिति
बेलागंज और इमामगंज विधानसभा सीटें वर्तमान में इसलिए खाली हैं क्योंकि इनके विधायक क्रमशः डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव और जीतनराम मांझी अब सांसद बन चुके हैं। बेलागंज के विधायक डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव को जहानाबाद संसदीय क्षेत्र से सांसद चुना गया था, जबकि इमामगंज के विधायक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को गया संसदीय क्षेत्र से संसद में भेजा गया। इस चुनाव से पहले दोनों सीटों पर राजद और जदयू का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार समीकरण कुछ बदले हुए नज़र आ रहे हैं। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इन उपचुनावों के परिणाम का असर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है, इसलिए दोनों गठबंधन इसे जीतने के लिए पूरी कोशिश में हैं।
मतदान और परिणाम की तिथि
इन दोनों विधानसभा सीटों के लिए मतदान 13 नवंबर को निर्धारित है, जबकि 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा। यह चुनाव स्थानीय राजनीति के साथ-साथ बिहार के राजनीतिक भविष्य को भी संकेत दे सकता है। बिहार में होने वाले इस उपचुनाव में दोनों ही प्रमुख गठबंधन – महागठबंधन और एनडीए – पूरी ताकत लगा रहे हैं। दोनों सीटों पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और कई नामांकन रद्द होने के बाद अब प्रत्याशियों की सूची छोटी हो गई है, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। बेलागंज और इमामगंज दोनों क्षेत्रों में अब राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है। 13 नवंबर को होने वाले मतदान और 23 नवंबर को आने वाले परिणाम बिहार की राजनीति के भविष्य पर क्या असर डालेंगे, यह देखना रोचक होगा।

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