बिहार के सरकारी अस्पतालों में अब नहीं होगी दवाइयों की कमी, सरकार ने 250 करोड़ रुपए किया जारी

पटना। राज्य सरकार ने बिहार के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी से निपटने और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बड़ा कदम उठाया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के तहत सरकार ने करीब 250 करोड़ रुपये का आवंटन स्वीकृत किया है, जिससे प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, यह राशि बिहार में मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला एवं अनुमंडलीय अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में समान रूप से वितरित की जाएगी ताकि सभी स्तरों पर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इस बजटीय आवंटन में मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों के लिए 136.91 करोड़ रुपये जिला एवं अनुमंडलीय अस्पतालों के लिए 90 करोड़ रुपये, तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) के लिए 23.08 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। सरकार ने न सिर्फ राशि जारी की है, बल्कि दवाओं की खरीद के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। इसके तहत मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को दी गई राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा बिहार स्वास्थ्य सेवाएं आधारभूत संरचना निगम के माध्यम से खर्च किया जाएगा, जो केंद्रीकृत प्रणाली के तहत दवाओं की खरीद करेगा। बाकी 30 प्रतिशत राशि का उपयोग अस्पताल स्थानीय स्तर पर आवश्यक दवाओं की खरीद के लिए कर सकेंगे। इसी तरह, जिला एवं अनुमंडलीय अस्पतालों की राशि में से 80 प्रतिशत दवाओं की खरीद निगम करेगा, जबकि 20 प्रतिशत राशि से संबंधित सिविल सर्जन को स्थानीय जरूरत के अनुसार दवाएं खरीदने का अधिकार दिया गया है।  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस निर्णय से सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को समय पर और मुफ्त दवाएं मिलेंगी, जिससे बाहरी मेडिकल दुकानों पर निर्भरता घटेगी और इलाज की लागत में भी कमी आएगी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने इस पहल को जनहित में बड़ी राहत करार देते हुए कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि दवा वितरण की निगरानी के लिए विशेष सेल भी गठित किया जाए*, ताकि किसी भी स्तर पर अनियमितता न हो। इस घोषणा से राज्य के लाखों मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और दवाओं की कमी लंबे समय से चुनौती रही है।

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