September 16, 2025

स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की राशि पर अब नहीं लगेगा ब्याज, मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया से किया ऐलान

  • उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए किश्त अवधि भी बढ़ाई गई, छात्रों में खुशी की लहर

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को राहत देने वाला ऐतिहासिक फैसला लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से घोषणा की कि अब बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत मिलने वाले शिक्षा ऋण पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। राज्य सरकार पूरी तरह ब्याज का भार वहन करेगी। इस घोषणा के बाद पूरे राज्य में छात्र-छात्राओं और अभिभावकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है।
योजना की पृष्ठभूमि
बिहार में 2 अक्टूबर 2016 को “सात निश्चय” योजना के अंतर्गत स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य 12वीं पास छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना था। योजना के तहत अधिकतम 4 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण देने का प्रावधान था। अब तक सामान्य वर्ग के छात्रों को 4 प्रतिशत ब्याज दर पर और महिला, दिव्यांग एवं ट्रांसजेंडर छात्रों को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाता था। नई घोषणा के बाद अब यह ऋण पूरी तरह ब्याज मुक्त होगा।
छात्रों को मिली बड़ी राहत
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य है कि कोई भी छात्र आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई बीच में न छोड़े। अब राज्य सरकार ब्याज का पूरा बोझ उठाएगी और छात्रों को केवल मूलधन ही चुकाना होगा। इस कदम से न सिर्फ आर्थिक दबाव कम होगा बल्कि छात्रों को उच्च शिक्षा हासिल करने में आसानी होगी।
किश्त अवधि में विस्तार
सरकार ने किश्त चुकाने की अवधि को भी बढ़ा दिया है। पहले 2 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण को 60 मासिक किस्तों यानी 5 वर्षों में चुकाना पड़ता था। अब इसे बढ़ाकर 84 मासिक किस्तों (7 वर्ष) तक कर दिया गया है। इसी तरह, 2 लाख से अधिक राशि का ऋण पहले 84 किस्तों (7 वर्ष) में चुकाना होता था, जिसे अब बढ़ाकर 120 मासिक किस्तों (10 वर्ष) कर दिया गया है। इस बदलाव से छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी मिलने और आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
छात्रों और संगठनों की प्रतिक्रिया
यह फैसला लंबे समय से छात्रों की मांग रही थी। पटना यूनिवर्सिटी के छात्र नेता रवि कुमार ने कहा कि ब्याज मुक्त ऋण और किश्त अवधि बढ़ाने से गरीब और ग्रामीण परिवारों के बच्चों को खासा लाभ मिलेगा। वे अब बिना चिंता के उच्च शिक्षा का सपना पूरा कर सकेंगे। विभिन्न छात्र संगठनों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे शिक्षा को सुलभ बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
शिक्षा विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार में अब तक लाखों छात्र इस योजना का लाभ ले चुके हैं। ब्याज हटाए जाने और किश्त अवधि बढ़ाने से आवेदन संख्या में और वृद्धि होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उच्च शिक्षा का दायरा व्यापक होगा और राज्य में कुशल मानव संसाधन तैयार करने में मदद मिलेगी। यह कदम राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास को गति देगा।
चुनावी संदर्भ और राजनीतिक महत्व
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि चुनावी दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। युवा वोटरों को आकर्षित करने के लिए यह निर्णय सरकार की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि चाहे चुनावी दृष्टिकोण हो या न हो, यह फैसला छात्रों और समाज दोनों के लिए लाभकारी साबित होगा।
सामाजिक संगठनों का समर्थन
सामाजिक संगठनों ने भी मुख्यमंत्री की सराहना की है। उनका मानना है कि शिक्षा में निवेश ही राज्य के समग्र विकास की कुंजी है। इस घोषणा को बिहार के शिक्षा ढांचे को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर बताया जा रहा है। इससे न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण इलाकों के छात्र भी उच्च शिक्षा तक पहुंच बना पाएंगे।
भविष्य की संभावनाएं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उम्मीद जताई कि इस निर्णय से छात्रों का मनोबल बढ़ेगा और वे और अधिक उत्साह से पढ़ाई में जुटेंगे। ब्याज मुक्त ऋण और लंबी किश्त अवधि जैसी राहतें छात्रों को वित्तीय चिंता से मुक्त कर देंगी। इसके परिणामस्वरूप राज्य में उच्च शिक्षा का स्तर नई ऊँचाइयों तक पहुंचेगा और बिहार देश के विकास में और बड़ा योगदान दे सकेगा। बिहार सरकार का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की दिशा में एक मजबूत पहल है। ब्याज रहित ऋण और किश्त अवधि में बढ़ोतरी से न केवल छात्रों को राहत मिलेगी बल्कि राज्य के युवाओं में उच्च शिक्षा के प्रति उत्साह भी बढ़ेगा। यह फैसला एक ओर जहां आर्थिक बोझ को कम करेगा, वहीं दूसरी ओर राज्य के भविष्य को नई दिशा देने में सहायक साबित होगा।

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