सीएम नीतीश ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा, विधानसभा भंग, नई सरकार की गठन की तैयारी तेज
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद राज्य में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही मौजूदा विधानसभा को भंग करने की औपचारिक शुरुआत हो गई है। अब राज्य में नई सरकार के गठन की दिशा में सभी गतिविधियाँ तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
अंतिम कैबिनेट बैठक और विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव
इस्तीफा सौंपने से पहले नीतीश कुमार ने अपनी सरकार की अंतिम कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में मौजूदा विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया। यह कदम इसलिए जरूरी था क्योंकि मौजूदा सरकार का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। समय पर नई सरकार का गठन सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा का भंग होना आवश्यक था, ताकि नए सिरे से सत्ता हस्तांतरण का रास्ता साफ हो सके।
विधायक दल की बैठकों का दौर
जेडीयू ने आज विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी और नई सरकार में मंत्रियों के चयन पर भी चर्चा हो सकती है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की बैठक होगी, जिसके बाद बुधवार को एनडीए की संयुक्त बैठक में विधायक दल के नेता का चुनाव होगा। राजनीतिक संकेत स्पष्ट हैं कि नीतीश कुमार को एक बार फिर महागठबंधन की तर्ज पर एनडीए की ओर से भी सर्वसम्मति से नेतृत्व सौंपा जाएगा। इसके बाद वे राज्यपाल को नई सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत करेंगे।
गांधी मैदान में होगी शपथ ग्रहण का भव्य आयोजन
20 नवंबर को राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इस समारोह को बेहद भव्य बनाया जा रहा है, क्योंकि नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने जानकारी दी कि नई कैबिनेट में कुल 36 मंत्री शामिल होंगे, जिनमें 16 भाजपा के, 15 जदयू के, 3 लोजपा (रामविलास) के, तथा हम और रालोमो से 1-1 मंत्री होंगे। मंत्रिमंडल के इस स्वरूप से स्पष्ट है कि एनडीए सभी सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व देने के फार्मूले पर आगे बढ़ रहा है। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार के शीर्ष नेता शामिल होने की संभावना है। राजभवन की ओर से कार्यक्रम में शामिल होने वाले अतिथियों की सूची तैयार की जा रही है।
शपथग्रहण से पहले सुरक्षा और व्यवस्थाओं की तैयारी
गांधी मैदान में प्रशासन और पुलिस की टीमें लगातार तैनात हैं और मंच तैयार करने से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक हर स्तर पर तैयारियाँ चल रही हैं। चूँकि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे, इसलिए सुरक्षा प्रोटोकॉल बेहद सख्त होगा। क्षेत्र में यातायात व्यवस्था को लेकर भी जिला प्रशासन ने प्लान तैयार कर लिया है। अतिथियों के बैठने की व्यवस्था, हेलीपैड से माध्यमिक मार्ग और वीआईपी मूवमेंट सब पहले से तय किए जा रहे हैं।
आचार संहिता खत्म, प्रक्रिया में तेजी
चुनाव आयोग ने सभी विजयी उम्मीदवारों की सूची आधिकारिक रूप से राजभवन को सौंप दी है। इसके साथ ही राज्य में चुनाव आचार संहिता भी समाप्त हो गई है। इसका अर्थ है कि सरकार गठन से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं अब बिना किसी प्रतिबंध के आगे बढ़ाई जा सकती हैं। राज्यपाल की ओर से यह भी जानकारी मांगी गई है कि शपथ ग्रहण समारोह में कौन-कौन बड़े अतिथि शामिल होंगे। सुरक्षा एजेंसियाँ कार्यक्रम के दौरान किसी भी खतरे या अव्यवस्था से निपटने के लिए पहले से तैयारियां कर रही हैं।
राजनीतिक स्थिरता की ओर बिहार
एनडीए की प्रचंड जीत ने बिहार में राजनीतिक स्थिरता को मजबूत किया है। चुनाव परिणामों के बाद से लगातार दलों के भीतर बैठकों का दौर चल रहा है और सभी सहयोगी दलों का रुख स्पष्ट है कि वे नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। नई सरकार के गठन के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सड़क निर्माण और औद्योगिक विकास जैसे मुद्दों पर बड़ी घोषणाओं की अपेक्षा की जा रही है। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी आगामी कार्यकाल में राज्य के लिए नई नीतियों और बुनियादी ढाँचे पर फोकस करने की संभावना जता रही है। सीएम नीतीश कुमार का इस्तीफा और विधानसभा का भंग होना बिहार की राजनीतिक प्रक्रिया का एक अनिवार्य चरण है, जिसके बाद नई सरकार की ओर से सत्ता संभालने की राह साफ हो गई है। 20 नवंबर को होने वाला शपथ ग्रहण राज्य के लिए ऐतिहासिक क्षण होगा। बिहार अब एक बार फिर नई उम्मीदों, नई योजनाओं और स्थिर शासन की ओर कदम बढ़ा रहा है।


