जमुई-नीतीश सरकार का ‘सिस्टम’ कटघरे में,सीओ-बीडीओ,थाना के सामने पीटा गया कोरोना वारियर को

जमुई।जिले के चकाई-देवघर मार्ग पर प्रतिनियुक्त एक दंडाधिकारी (कोरोना वारियर) ने नीतीश सरकार के ‘सिस्टम’ को ही ‘कटघरे’ में खड़ा कर दिया है।मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात चकाई प्रखंड कार्यालय के तकनीकी सहायक सुनील कुमार ने कार्यस्थल पर कर्तव्य निर्वहन के दौरान चकाई के अंचलाधिकारी(सीओ)प्रखंड विकास पदाधिकारी(बीडीओ) तथा थाना प्रभारी के उपस्थिति में अपने साथ मारपीट का गंभीर आरोप लगाया है। सुनील कुमार ने यह आरोप चकाई के बीडीओ के कथित निजी अंगरक्षक गिरधारी यादव पर लगाया है।अपने एफआइआर में सुनील कुमार ने साफ तौर पर कहा है कि 3 मई को रात्रि कालीन ड्यूटी के दौरान चकाई प्रखंड के अंचलाधिकारी,प्रखंड विकास पदाधिकारी, घटनास्थल पर तैनात पुलिस बल,चंद्रमंडी थाना के थाना प्रभारी की मौजूदगी में बीडीओ के कथित अंगरक्षक गिरधारी यादव ने अकारण उसके साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया।एफआईआर के अनुसार मारपीट करने वाले को सरकारी तंत्र का ही समर्थन हासिल प्रतित होता था।यह एक बड़ा प्रश्न है कि ड्यूटी में तैनात किसी पदाधिकारी को अगर प्रशासन एवं पुलिस की मौजूदगी में निजी आदमी के द्वारा मारपीट की जाती है,तो इसका क्या अर्थ निकलता है? एक तरफ तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश सरकार तथा उनकी पार्टी राज्य में सुशासन का दावा ठोकते रहती है।वहीं दूसरी तरफ आलम ऐसे हो गए हैं कि सरकारी तंत्र में व्याप्त अधिकारी- पदाधिकारी भी सरेआम कानून तोड़ने से बाज नहीं आते।उल्लेखनीय है कि चकाई के बीडीओ पर कुछ दिनों पूर्व लॉक डाउन के अवधि के दौरान ही जमुई में एक दरोगा पर सरेआम पिस्टल तानकर धमकी देने का मामला भी प्रकाश में आया था।उक्त दरोगा के वीडियो वायरल होने के बावजूद सरकार ने ना तो संज्ञान लिया ना ही आरोपी बीडीओ पर कोई कार्रवाई की गई।जिसका नतीजा गत 3 मई को पुनः देखने को मिला।सुनील कुमार जो कि प्रखंड विकास कार्यालय में ही तकनीकी सहायक के रूप में तैनात हैं।उन्हें चकाई- देवघर मार्ग पर चेकिंग की ड्यूटी मिली थी।चेकिंग के दौरान यात्रियों के इंट्री करने के काम उनके जिम्मा था।इसी कार्य प्रकरण को लेकर 3 मई के रात्रि करीब 11:30 बजे चकाई के सीओ,बीडीओ तथा चन्द्रमंडी थाना के थाना प्रभारी की मौजूदगी में बीडीओ के तथाकथित निजी अंगरक्षक गिरधारी यादव के द्वारा उन्हें बुरी तरह से मारा-पीटा गया।गौरतलब है कि किसी भी सरकारी अधिकारी या पदाधिकारी को इस प्रकार से निजी अंगरक्षक रखना भी गैरकानूनी है।इस मामले को पूरी तरह से बीडीओ साहब के दबंगई से जोड़कर देखा जा रहा है।जमुई में दरोगा पर पिस्टल तानने के घटना के प्रकाश में आने के बाद जब कोई कार्यवाही नहीं हुई।तो चकाई के आमजन कहने लगे हैं कि बीडीओ साहब अब पूरी तरह बेलगाम होने गए हैं।हालांकि इस मामले को लेकर तकनीकी सहायक सुनील कुमार ने चंद्रमंडी थाना में एफआईआर दर्ज कराया है।प्राप्त जानकारी के अनुसार एफआईआर में कोविड एपिडेमिक को लेकर प्रासंगिक धारा 188 का प्रयोग पुलिस ने नहीं किया है।जबकि यह धारा किसी भी कोरोना वारियर के साथ कर्तव्य निर्वहन में रोक अथवा जोर जबरदस्ती से जुड़ी हुई है। हालांकि इस संबंध में झाझा के एसडीपीओ ने फोन पर बताया कि मामले का पर्यवेक्षण होगा।अगर न्यायसंगत धारा नहीं लगे होंगे।तो पर्यवेक्षण कर पुनः उन धाराओं प्रयोग किया जाएगा।इस घटना के चर्चा जमुई से लेकर राजधानी पटना तक हो रही है।इस घटना से इतना तो प्रमाणित हो गया कि राज्य के सरकारी तंत्र में अभी भी कितनी खामियां हैं।जो समय-समय पर उजागर होते रहती हैं।एक सरकारी कर्मचारी ही सरकारी पदाधिकारियों पर दबंगई का आरोप लगा रहा है।इससे साफ पता चलता है कि सिस्टम खुद ‘कठघरे’ में खड़ी हो गई है।तब भला पब्लिक का हिफाजत कौन करेगा।

You may have missed