November 17, 2025

आज होगी नीतीश कैबिनेट की अंतिम बैठक: विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव, राज्यपाल को इस्तीफा देंगे सीएम

पटना। बिहार की राजनीति इन दिनों बेहद तीव्र उतार-चढ़ाव से गुजर रही है। सत्ता परिवर्तन की हलचल अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी है। अगले चंद घंटों में राज्य की राजनीतिक दिशा तय होने जा रही है। इस पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को अपने मौजूदा कार्यकाल की अंतिम कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह बैठक केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि आगामी राजनीतिक घटनाक्रम का आधार बनने वाली प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।
कैबिनेट बैठक के बाद इस्तीफे की तैयारी
माना जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद नीतीश कुमार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप देंगे। इस कदम के साथ ही वर्तमान सरकार की औपचारिक विदाई हो जाएगी और नई एनडीए सरकार के गठन का रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाएगा। इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारियाँ निभाते रहेंगे, जब तक कि नई सरकार शपथ नहीं ले लेती।
एनडीए की संभावित सरकार का खाका
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में इस बार एनडीए ने अत्यंत मजबूत प्रदर्शन किया है। गठबंधन ने 200 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है, जिसमें भाजपा को 89, जदयू को 85, एलजेपी (रामविलास) को 19 तथा अन्य सहयोगी दलों एचएएम और आरएलएम को कुल 9 सीटें मिली हैं। यह जनादेश इस बात का संकेत है कि जनता ने एक ठोस, स्थिर और निर्णायक सरकार के लिए एनडीए पर भरोसा जताया है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह परिणाम नीतीश कुमार के नेतृत्व में लंबे समय से चले आ रहे विकास एजेंडे और सामाजिक संतुलन की राजनीति का सकारात्मक प्रभाव है।
नए नेतृत्व पर मंथन
भाजपा और जदयू दोनों दलों की विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों में संगठनात्मक ढांचा, नेतृत्व और नई सरकार की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाएगा। हालांकि नीतीश कुमार लगातार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत दलों की सहमति इस निर्णय की औपचारिक पुष्टि करेगी। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार 20 नवंबर को शपथ ले सकते हैं और इस तरह वे बिहार की सियासत में अपनी नेतृत्व क्षमता को एक बार फिर स्थापित करेंगे।
राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बना पटना
इन दिनों पटना का माहौल पूरी तरह राजनीतिक रंग में रंगा हुआ है। मुख्यमंत्री आवास पर जदयू विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें सभी विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई है। यह बैठक केवल नेतृत्व तय करने के लिए नहीं, बल्कि अगले पांच वर्षों की नीतिगत दिशा को समझने और आंतरिक एकजुटता को प्रबल करने के उद्देश्य से भी महत्वपूर्ण है।
शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियाँ तेज़ी से चल रही हैं। प्रशासन ने व्यवस्था, सुरक्षा और बड़े पैमाने पर होने वाली भीड़ को ध्यान में रखते हुए 17 से 20 नवंबर तक आम जनता के प्रवेश पर रोक लगा दी है। यह संकेत देता है कि आयोजन बेहद भव्य और बड़े पैमाने पर होने वाला है। संभावना यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस समारोह में शामिल होंगे, जिससे इस आयोजन का महत्व और बढ़ जाएगा। ऐसी मौजूदगी किसी भी राज्य के लिए राजनीतिक शक्ति और राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति विश्वास का संकेत मानी जाती है।
विधानसभा कार्यकाल का समापन और नया दौर
बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए समय के लिहाज से भी सरकार निर्माण की प्रक्रिया तेजी पकड़ चुकी है। विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर के बाद राज्यपाल द्वारा उसे स्वीकार किए जाने पर नई विधानसभा के गठन का रास्ता खुल जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया संवैधानिक ढांचे का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो लोकतंत्र की निरंतरता और स्थिरता को सुनिश्चित करती है।
राजनीतिक सरगर्मी और जनता की अपेक्षाएँ
बिहार इन दिनों राजनीतिक रूप से पूरी तरह सक्रिय है। सत्ता परिवर्तन की इस प्रक्रिया ने राज्य में नई ऊर्जा और उत्सुकता पैदा की है। जनता की अपेक्षाएँ नई सरकार से विकास कार्यों में गति, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे के विस्तार को लेकर हैं। एनडीए के मजबूत जनादेश से यह उम्मीद और भी बढ़ गई है कि आने वाले वर्षों में बिहार एक नए विकास मॉडल की ओर अग्रसर होगा।
नए अध्याय का आरंभ
इस्तीफे की तैयारी, कैबिनेट की अंतिम बैठक, विधायक दल की रणनीतिक चर्चाएँ और शपथ समारोह की तैयारियाँ—इन सभी ने बिहार की राजनीति को एक निर्णायक चरण पर ला खड़ा किया है। यह केवल सत्ता परिवर्तन का मामला नहीं, बल्कि राज्य के नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत है। आने वाले दिनों में बिहार एक नई सरकार, नए संकल्प और नई दिशा के साथ आगे बढ़ने को तैयार है।

You may have missed