नीतीश कुमार ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ: 10वीं बार बने सीएम, राज्यपाल ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ
- सम्राट और विजय समेत कई मंत्रियों ने ली शपथ, बीजेपी के होंगे दो डिप्टी सीएम, कई नए चेहरे को मौका
पटना। बिहार की राजनीति ने 20 नवंबर को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण देखा जब जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह भव्य, विशाल और राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे, जिससे समारोह का महत्व और भी बढ़ गया।
भव्य आयोजन और उच्च स्तर की मौजूदगी
गांधी मैदान में हजारों लोगों की मौजूदगी के बीच राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मंच पर राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेता मौजूद थे, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रमुख थे। इसके अलावा हरियाणा, असम, गुजरात, मेघालय, उत्तर प्रदेश, नगालैंड, ओडिशा, दिल्ली और राजस्थान के मुख्यमंत्री भी इस समारोह में शामिल हुए। इस तरह की उच्च स्तरीय उपस्थिति ने साफ संकेत दिया कि बिहार में बनने वाली नई सरकार को केंद्र का मजबूत समर्थन प्राप्त है और एनडीए इसे बेहद गंभीरता से देख रहा है।
दो उपमुख्यमंत्री: सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा
समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद भाजपा कोटे से सम्राट चौधरी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सम्राट चौधरी बिहार भाजपा के प्रमुख चेहरों में से एक हैं और हाल की राजनीतिक घटनाओं में उनकी सक्रिय भूमिका रही है। उनके बाद विजय कुमार सिन्हा को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। विजय सिन्हा बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और भाजपा नेतृत्व में उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। दोनों नेताओं के उपमुख्यमंत्री बनने से यह स्पष्ट है कि भाजपा इस बार सरकार में अधिक सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाने जा रही है।
मंत्रिमंडल में नए और अनुभवी चेहरों का मिश्रण
शपथ ग्रहण समारोह में कुल 26 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें कई पुराने, अनुभवी और प्रभावी मंत्रियों के साथ-साथ कई नए चेहरों को भी जगह दी गई है। इससे नए मंत्रिमंडल में अनुभव और युवाशक्ति का संतुलन दिखाई देता है। शपथ लेने वाले मंत्रियों में मंगल पांडेय, बिजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, विजय चौधरी, दिलीप जायसवाल और अशोक चौधरी जैसे पुराने नाम शामिल थे। ये नेता पहले भी विभिन्न विभागों का कार्यभार संभाल चुके हैं और अपनी प्रशासनिक दक्षता के लिए पहचाने जाते हैं।
मंच पर राजनीतिक सौहार्द का माहौल
शपथ ग्रहण के दौरान एनडीए के भीतर की एकजुटता का दृश्य भी देखने को मिला। मंच पर चिराग पासवान ने जीतनराम मांझी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यह दृश्य एनडीए की एकता और सम्मान की भावना को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित कर रहा था। चिराग पासवान की मौजूदगी और उनकी सक्रियता यह भी संकेत दे रही है कि आगे आने वाले समय में वे राज्य की राजनीति में और अधिक प्रभावी भूमिका निभाने की तैयारी में हैं।
नए चेहरों को मिला मौका
इस बार के मंत्रिमंडल में भाजपा की ओर से कई नए चेहरों को भी शामिल किया गया है। इनमें अरुण शंकर प्रसाद, संजय टाइगर, लखेन्द्र कुमार रौशन, श्रेयसी सिंह, दीपक प्रकाश और जमाखान जैसे नाम खास हैं। श्रेयसी सिंह, जो जमुई से विधायक हैं और पूर्व शूटिंग चैंपियन भी रह चुकी हैं, पहली बार मंत्री बनी हैं। उनकी एंट्री यह दर्शाती है कि भाजपा युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। दीपक प्रकाश, जो उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं, का शामिल होना एनडीए के भीतर सामंजस्य और सहयोगी दलों के बीच संतुलन साधने का राजनीतिक प्रयास माना जा रहा है।
मंत्रियों की पूरी सूची
सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, मंगल पांडेय, दिलीप जायसवाल, अशोक चौधरी, सुनील कुमार, जमा खान, संजय सिंह टाइगर, अरुण शंकर प्रसाद, सुरेंद्र मेहता, नारायण प्रसाद, रमा निषाद, लखेन्द्र कुमार रौशन, श्रेयसी सिंह, लेशी सिंह, मदन सहनी, प्रमोद कुमार, नितिन नवीन, राम कृपाल यादव, संतोष कुमार सुमन, संजय कुमार, संजय कुमार सिंह और दीपक प्रकाश।
एनडीए सरकार की नई दिशा
शपथ ग्रहण के साथ ही व्यापक संदेश यह गया कि बिहार की नई सरकार में नीतीश कुमार एक बार फिर नेतृत्व की कमान संभालेंगे, लेकिन भाजपा की भागीदारी और प्रभाव अब पहले से अधिक दिखाई देगा। दो उपमुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यह सुनिश्चित किया है कि सरकार के फैसलों में उसकी प्रभावी भूमिका बनी रहे। साथ ही नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल कर पार्टी ने सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है।
नीतीश का दसवीं बार मुख्यमंत्री बनना एक राजनीतिक उपलब्धि
नीतीश कुमार का दसवीं बार मुख्यमंत्री बनना एक राजनीतिक उपलब्धि से कहीं अधिक है। यह उनके नेतृत्व पर गठबंधन की गहरी विश्वास का प्रतीक है। शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की उपस्थिति और मंत्रिमंडल में नए-पुराने चेहरों का संतुलन स्पष्ट करता है कि बिहार की नई सरकार स्थिर, मजबूत और व्यापक प्रतिनिधित्व वाली होगी। अब देखना होगा कि यह नई टीम मिलकर बिहार के विकास के लिए किस प्रकार नई दिशा निर्धारित करती है और जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरती है।


