December 4, 2025

पीएम से मुलाकात के बाद फिर सीएम नीतीश दिल्ली रवाना, सियासी राजनीति में मची हलचल

पटना। बिहार की सियासत में इन दिनों हलचल तेज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 48 घंटों के भीतर दूसरी बार बिहार का दौरा किया। 13 नवंबर को वे दरभंगा में थे और 15 नवंबर को उन्होंने जमुई में जनजातीय गौरव सम्मान सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे। हालांकि, पीएम मोदी के बिहार दौरे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल्ली रवाना होना राजनीतिक अटकलों को जन्म दे रहा है। जमुई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम नीतीश ने मंच से एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने अपने संबोधन में स्वीकार किया कि पिछले दिनों उन्होंने राजनीतिक तौर पर गलतियां की थीं, लेकिन अब वे ऐसी गलतियां नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के साथ बने रहेंगे और भविष्य में किसी भी सूरत में इधर-उधर नहीं जाएंगे। नीतीश कुमार ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपने पुराने संबंधों को याद करते हुए कहा कि वे लंबे समय से एनडीए के साथ जुड़े रहे हैं, लेकिन बीच में कुछ कारणों से उन्होंने अलग राह पकड़ ली थी। उन्होंने इसे “गलत निर्णय” बताया और भरोसा दिलाया कि अब ऐसी कोई चूक नहीं होगी। नीतीश ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी देश के लिए बहुत काम कर रहे हैं और बिहार के विकास में भी उनका योगदान सराहनीय है। उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि जहां भी पीएम जाते हैं, वहां के लिए विकास कार्य सुनिश्चित करते हैं। नीतीश कुमार का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि उनके राजनीतिक सफर में यू-टर्न और गठबंधन बदलने के फैसले कई बार चर्चा में रहे हैं। वे पहले एनडीए के साथ थे, फिर महागठबंधन का हिस्सा बने, और बाद में वापस एनडीए में लौट आए। लेकिन इस बार उन्होंने मंच से बार-बार दोहराया कि अब वे कहीं नहीं जाएंगे और एनडीए के साथ स्थायी रूप से जुड़े रहेंगे। इस दौरान मंच पर बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नीतीश के बयान को सुनकर मुस्कुराते दिखे। इसे राजनीतिक तौर पर भाजपा और जदयू के रिश्तों को मजबूती देने वाला बयान माना जा रहा है। हालांकि, सीएम नीतीश के इस बयान और अचानक दिल्ली जाने को लेकर बिहार की राजनीति में चर्चाएं तेज हो गई हैं। उनके दिल्ली जाने के पीछे क्या वजह है, इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा केंद्र और राज्य के संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से हो सकता है, जबकि अन्य इसे आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं। कुल मिलाकर, नीतीश कुमार का यह बयान उनके राजनीतिक रुख में स्थिरता दिखाने का प्रयास माना जा रहा है। यह बिहार और राष्ट्रीय राजनीति के लिए क्या संकेत देगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। फिलहाल, बिहार की सियासी फिजा में इस घटनाक्रम ने हलचल बढ़ा दी है।

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