October 28, 2025

EXCLUSIVE REPORT: नीतीश सरकार को खुली चुनौती दे रहे हैं “आदमखोर सूदखोर”, आप परेशान हैं तो यहां करें शिकायत

● राजधानी पटना में हर 9वां-10वां व्यक्ति सूदखोरी के धंधे में है लिप्त

● आत्महत्या करने को मजबूर हैं कर्ज के तले दबे लोग

● नीतीश सरकार ने मनी लैंडर्स की कुंडली खंगालने की कही थी बात

पटना (ब्यूरो)। निजी तौर पर बेरोकटोक चल रहे सूद के अवैध धंधे पूरे बिहार में काफी तेजी से फैल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक यह कारोबार बिहार में करोड़ों का है, जिसका कोई लेखा-जोखा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। अगर हम सिर्फ राजधानी पटना की बात करें तो यहां हर 9वां-10वां व्यक्ति किसी न किसी रूप में सूदखोरी के धंधे में लिप्त है। सूदखोर 5 से 10 परसेंट की दर पर कारोबार कर रहे हैं लेकिन सरकार को इसके एवज में एक फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हो रही है। मानो ये सूदखोर नीतीश सरकार को खुला चैलेंज दे रहे हो। क्योंकि अधिकांश सूदखोर बिना पंजीयन कराए अपना धंधा बेखौफ होकर चला रहे हैं और प्रशासन ऐसे सूदखोरों पर कार्रवाई करने में पूरी तरह असमर्थ प्रतीत हो रही है। इन सूदखोरों के निशाने पर खासकर गरीब, मजदूर, रहङी वाले मजबूर लोग होते हैं, जिनकी मजबूरी का फायदा ये लोग जमकर उठाते हैं और समय पर सूद का पैसा ना देने पर उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित भी करते हैं। यहां तक की सूदखोर उनके साथ मारपीट करने से भी नहीं कतराते हैं। वहीं ऐसे लाचार बेबस लोग कुछ नहीं कर पाते हैं, इसका कारण यह है कि सूदखोर बलपूर्वक धमकी देकर इन्हें चुप कराए रहते हैं। बता दें बिहार में कई स्वयं सहायता समूह है लेकिन कागजी कार्रवाई होने के कारण इन लोगों को समूह द्वारा समय पर लोन नहीं मिल पाता है, जिसके कारण ऐसे लोगों को निजी तौर पर अवैध रूप से सूद का धंधा चलाने वालों की शरण में जाना पड़ता है। क्योंकि यहां उन्हें आसानी से कर्ज उपलब्ध हो जाती है।
बहरहाल, नीतीश सरकार लोगों को कर्ज देकर उनसे मनमाना सूद वसूलने वाले सूदखोरों (मनी लैंडर्स) की कुंडली खंगाले और शिकंजा कसे। क्योंकि यह सूदखोरी का धंधा बड़ा पेशा के रूप में बिहार में फलफूल रहा है और हर गरीब, मजदूर व ग्रामीण सूदखोरों द्वारा आए दिन प्रताड़ित किए जा रहे हैं। कई लोग तो ऐसे हैं जो सूदखोरों की प्रताड़ना से आजिज होकर अपनी इहलीला तक समाप्त कर ली है। उल्लेखनीय है कि आजादी के 72 साल बाद भी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में साहूकारी प्रथा का दौर जारी है। इस कारण आए दिन कर्ज के बोझ तले दबे दर्जनों किसान, मजदूर व ग्रामीण आत्महत्या तक करने को मजबूर हो रहे हैं। देश में साहूकारी अधिनियम तो बना दिया गया और उसके दायरे भी निश्चित कर दिए गए, लेकिन साहूकारी की आड़ में कई गुना ब्याज लगाकर कर्जदारों की कमर तोड़ दी जा रही है।
आपको याद दिला दें कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से मांगी थी। उन्होंने कहा था कि इस मामले में एक्ट बने हुए हैं, उसके अनुसार कितने मनी लैंडर्स पंजीकृत हैं और वास्तव में कितने लोग इस कार्य में लगे हैं, इसकी रिपोर्ट दें। लोक संवाद कार्यक्रम में एक व्यक्ति के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि 12 वर्षों में मैंने इसकी समीक्षा नहीं की। पदाधिकारियों ने यह बताया कि जीविका दीदियों के समूह बनने से इस तरह के मनी लैंडर्स से पैसा लेने वालों की संख्या में काफी कमी आयी है। उस वक्त पटना डीएम ने कहा था कि इस मामले में कई वर्षों से कोई नया पंजीयन नहीं हुआ है।

1976 में बिहार साहूकार अधिनियम बना
इसके तहत लाइसेंस लेकर ही किसी को सूद पर कर्ज कोई दे सकता है। कर्ज की दर बैंकों की दर के समान ही होनी चाहिए। लाइसेंस का नवीनीकरण भी अनिवार्य है। मनमाना सूद लेने पर लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान है और बिना लाइसेंस के सूदखोरी का धंधा करने वालों पर सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान है।

सूदखोरों से परेशान हैं तो प्रशासनिक अधिकारियों से करें शिकायत
राज्य शासन के निर्देशों के तहत कोई भी सूदखोर जबरन वसूली नहीं कर सकेगा। यदि कोई व्यक्ति या परिवार सूदखोरी से परेशान हैं तो उसे प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत भर करना है। सूदखोर पर तत्काल कार्रवाई होगी।

बहरहाल अब देखना है कि नीतीश सरकार ऐसे आदमखोर सूदखोरों पर शिकंजा कसने में कहां तक सफल हो पाती है। जो गरीब मजदूर, किसान एवं ग्रामीणों को प्रताड़ित कर तिल तिल मार रहे हैं।

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