CM नीतीश ने मुझे मंत्री न बनने देने के लिए अपने नेताओं की कुर्बानी दी, मेरे चाचा को मंत्री बनवाया : चिराग

समस्तीपुर। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान इन दिनों आशीर्वाद यात्रा पर निकले है। गुरुवार को कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक व्यक्ति (चिराग) को केंद्रीय मंत्रिमंडल से दूर रखने और अपनी कुर्सी बचाने के लिए अपने ही नेताओं और पार्टी को कमजोर किया है, उसके लिए जदयू में कभी भी टूट देखने को मिल सकती है। बता दें लोजपा पारस गुट के अध्यक्ष व सांसद पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। उन्हें खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री बनाया गया है, जो कभी उनके बड़े भाई दिवंगत रामविलास पासवान के पास थी।
समस्तीपुर में जमुई से सांसद चिराग पासवान ने कहा कि मुझे कभी भी मंत्री पद की लालसा नहीं थी, लेकिन मुझे अभी भी यह नहीं पता है कि मेरे चाचा पशुपति पारस को किस पार्टी के कोटे से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। जिस तरह से चीजें सामने आई हैं, उससे ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार ने मुझे मंत्री न बनने देने के लिए अपनी ही पार्टी के नेताओं, खासकर ललन सिंह की कुर्बानी दी है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें भाजपा ने नीचा महसूस कराया है। इस पर चिराग ने कहा कि जब उन्हें अपनों ने ही धोखा दिया तो वह किसी और के प्रति द्वेष नहीं रख सकते। समय सब कुछ बता देगा। मुझे कभी किसी से कोई व्यक्तिगत अपेक्षा नहीं थी। लोगों को वह मिलता है जिसके वे हकदार होते हैं, यही सार्वभौमिक सत्य है। मैं इसे उस पर छोड़ता हूं।
चिराग ने कहा कि उन्होंने पहले ही प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार पारस सहित पार्टी के पांच सांसदों को पार्टी से निलंबित करने के बारे में सूचित कर दिया था। उन्होंने कहा कि सीएम के इशारे पर ललन सिंह ने लोजपा में फूट डालने में अहम भूमिका निभाई। इसके लिए जदयू ने अपनी पार्टी के अंदर जारी उथल-पुथल को दरकिनार कर दिया। इसकी वजह से राज्य में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं।
चिराग ने आगे कहा कि पशुपति पारस को मंत्री बनवाने के लिए नीतीश कुमार ने काफी नीचे तक झुकते हुए समझौता किया। यहां तक कि इसके लिए वह ललन सिंह के मंत्री पद तक की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। इससे जदयू के अंदर असंतोष पैदा हो गया है और पार्टी में टूट हो सकती है। जदयू के कई नेता भी मध्यावधि चुनाव के लिए माहौल तैयार करने की उम्मीद में हमारे संपर्क में हैं। हालांकि मुझे पता है कि वह (सीएम) फिर से समीकरणों को सही करने की कोशिश करेंगे। लेकिन हर बार समीकरण काम नहीं करेंगे।
