भारतीय पत्रकारिता के स्तंभ कुलदीप नैयर का निधन, दोपहर 1 बजे होगा अंतिम संस्कार

नई दिल्ली। भारतीय पत्रकारिता का सबसे अहम चेहरा अब हमारे बीच नहीं रहा। बीती रात को वरिष्ठतम पत्रकार कुलदीप नैयर ने दिल्ली के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। बता दें कि आज दोपहर एक बजे लोधी रोड स्थित शमशान घाट में नैयरजी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। कुलदीप नैयर की सेहत काफी समय से खराब थी। जिसके बाद उन्हें बीते तीन दिनों से आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुलदीप जी के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया:

Kuldip Nayar was an intellectual giant of our times. Frank and fearless in his views, his work spanned across many decades. His strong stand against the Emergency, public service and commitment to a better India will always be remembered. Saddened by his demise. My condolences.

जानिए कुलदीप नैयर के बारे में

कार्य अनुभव: भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यूएनआई, पीआईबी, ‘द स्टैट्समैन’, ‘इण्डियन एक्सप्रेस’ के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे। वे पच्चीस वर्षों तक ‘द टाइम्स’ लन्दन के संवाददाता भी रहे।

करियर: शुरूआत में नायर एक उर्दू प्रेस रिपोर्टर थे। वह दिल्ली के समाचार पत्र द स्टेट्समैन के संपादक थे और उन्हें भारतीय आपातकाल (1975-77) के अंत में गिरफ्तार किया गया था। वह एक मानवीय अधिकार कार्यकर्ता और शांति कार्यकर्ता भी थे। वह 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था, अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था। वह डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ऐप-एड लिखते थे।

रचनाएँ: ‘बिटवीन द लाइन्स’, ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब काॅनण्टीनेण्ट’, ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू’, ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप’, ‘इण्डिया हाउस’, ‘स्कूप’ (सभी अंग्रेज़ी में)। ‘द डे लुक्स ओल्ड’ के नाम से प्रकाशित कुलदीप नैयर की आत्मकथा भी काफी चर्चित रही है। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।

विवाद: कुलदीप नैयर पर छद्म धर्मनिपेक्ष होने के साथ साथ हिंदू विरोधी होने के का भी आरोप समय समय पर लगता रहता है। नैयर ने तो यहाँ तक कहा डाला कि प्रधानमंत्री वाजपेयी को कानून बनाना चाहिए जो किसी राष्ट्रीय स्वयं सेवक को उच्च पद के लिए अयोग्य बनाये। एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय दैनिक में अन्ना हजारे के अन्दोलन के लिए नैयर ने यह कहा कि इस आन्दोलन को अनशन से अलग रखते तो अच्छा होता और इसका ठीकरा उन्होंने टीम अन्ना के सदस्यों पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि ये लोग ध्यान खींचने के लिए इस नाटकीय कदम को उठाना चाहते थे। विदित रहे कि अन्ना ने स्वयं ही यह स्वीकारा था कि अनशन करना उनकी स्वयं की इच्छा थी, न कि किसी और की। अन्ना यह कह चुके हैं कि वे कोई बच्चे नहीं हैं। वे वही कार्य करते हैं जिसकी गवाही उनकी आत्मा देती है।

सम्मान: नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी द्वारा ‘एल्यूमिनी मेरिट अवार्ड’ (1999)। सन् 1990 में ब्रिटेन के उच्चायुक्त नियुक्त किये गये। सन् 1996 में भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र संघ को भेजे गये प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य भी रहे। अगस्त, 1997 में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। सरहद संस्था की अोर से दिया जाने वाला संत नामदेव राष्ट्रीय पुरस्कार 2014 ज्येष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर को मिला है। इससे पहले ये पुरस्कार विजयकुमार चोपडा, एसएस विर्क, गुलजार, यश चोपड़ा, माँटेक सिंह अहलुवालिया, जतिंदर पन्नू, सत्यपाल सिंह, केपीएस गिल को दिया गया है। 23 नवम्बर, 2015 को वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक कुलदीप नैयर को पत्रकारिता में आजीवन उपलब्धि के लिए रामनाथ गोयनका स्मृ़ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार दिल्ली में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में केद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने प्रदान किया।

साभार : Google

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