October 29, 2025

देश में लागू हुई जीएसटी की नई दरें, गाड़ियों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सस्ता, रोजमर्रा के सामान हुए सस्ते

नई दिल्ली। देश में आज से गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी की नई दरें लागू हो गई हैं, जिसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं और आम जनता को मिलने जा रहा है। अब तक जहां विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग स्लैब में टैक्स लगता था, वहीं अब इसे सरल बनाते हुए केवल दो मुख्य स्लैब — 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत — में समेट दिया गया है। इसके अलावा विलासिता वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की विशेष दर रखी गई है। इस फैसले का असर गाड़ियों, इलेक्ट्रॉनिक्स, एफएमसीजी से लेकर दवाओं और घर बनाने की सामग्री तक पर पड़ा है, जिससे इनकी कीमतें घट गई हैं।
जीएसटी का नया ढांचा
3 सितंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं मीटिंग में दरों में कटौती का बड़ा ऐलान किया गया था, जो 22 सितंबर से लागू हो गया है। इस फैसले के तहत रोजमर्रा के सामानों से लेकर महंगी गाड़ियों और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स तक सब सस्ते हो गए हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम टैक्स सिस्टम को आसान बनाने और उपभोक्ताओं का आर्थिक बोझ कम करने के लिए उठाया गया है।
रोजमर्रा के सामान हुए सस्ते
जीएसटी दरों में बदलाव का सबसे बड़ा असर फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी एफएमसीजी सेक्टर पर पड़ा है। साबुन, शैम्पू, पाउडर, बिस्कुट, घी, तेल और कॉफी जैसी दैनिक जरूरत की वस्तुओं पर कर दरें घटा दी गई हैं। अब इनकी कीमतें पहले से कम हो गई हैं, जिससे घरेलू बजट को सीधी राहत मिलेगी। त्योहारों का मौसम शुरू हो रहा है, ऐसे में खपत और बिक्री में उछाल आने की भी संभावना है।
कंपनियों का फैसला
बड़ी एफएमसीजी कंपनियों ने तुरंत अपने उत्पादों की कीमतों में संशोधन कर दिया है। प्रॉक्टर एंड गैंबल, एचयूएल और इमामी जैसी कंपनियों ने अपने उपभोक्ताओं तक इस राहत को पहुंचाने के लिए नई एमआरपी सूची जारी कर दी है।
प्रॉक्टर एंड गैंबल ने विक्स, हेड एंड शोल्डर्स, पैंटीन, पैम्पर्स, जिलेट, ओल्ड स्पाइस और ओरल-बी जैसे ब्रांड्स के दाम घटाए हैं। इमामी ने बोरोप्लस, नवरत्न तेल और झंडू बाम जैसे उत्पाद सस्ते करने की घोषणा की है।
एचयूएल ने डव शैम्पू, हॉर्लिक्स, किसान जैम, ब्रू कॉफी, लक्स और लाइफबॉय साबुन सहित कई ब्रांड्स की कीमतों में कमी की है।
बच्चों और स्वास्थ्य से जुड़े सामान
बच्चों की देखभाल से जुड़े उत्पादों पर भी बड़ी राहत दी गई है। डायपर पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और बेबी वाइप्स पर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। इसी तरह से ग्लूकोमीटर, डायग्नोस्टिक किट और अधिकांश दवाओं को भी अब सिर्फ 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में रखा गया है। पहले ये 12 या 18 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आते थे। इससे दवाइयों और उपकरणों की कीमतें कम हो गई हैं।
घर बनाने वालों को फायदा
निर्माण सामग्री भी अब पहले की तुलना में सस्ती हो गई है। सरकार ने सीमेंट पर जीएसटी की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी है। इससे घर बनाने की लागत कुछ हद तक कम हो जाएगी और इसका फायदा बिल्डर्स के साथ-साथ होमबायर्स को भी मिलेगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स पर राहत
पहले टीवी, एसी, वॉशिंग मशीन और फ्रिज जैसी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता था। अब इन्हें घटाकर 18 प्रतिशत स्लैब में रखा गया है, जिससे इनकी कीमतों में उल्लेखनीय कमी आएगी। कंपनियां पहले ही नई मूल्य सूची जारी कर चुकी हैं, जिससे उपभोक्ताओं को यह प्रोडक्ट आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे।
गाड़ियों पर असर
नई जीएसटी दरों का असर गाड़ियों के बाजार पर भी दिखेगा। अब छोटी गाड़ियों पर 18 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा। जबकि बड़ी गाड़ियों, एसयूवी और एमपीवी वर्ग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा, जिसके साथ पहले की तरह अतिरिक्त सेस नहीं लगेगा। पहले इन गाड़ियों पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ 22 प्रतिशत सेस भी लगता था। अब कुल टैक्स बोझ घटने के कारण बड़ी गाड़ियां कुछ हद तक सस्ती हो सकती हैं।
सेवाओं पर नई दरें
सिर्फ वस्तुएं ही नहीं, सेवाओं पर भी जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव किया गया है। अब सैलून, योगा सेंटर, फिटनेस क्लब और हेल्थ स्पा जैसी सेवाओं पर टैक्स घटाकर 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि इन सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा।
उपभोक्ताओं को सीधा फायदा
जीएसटी 2.0 के नाम से लागू इस नई टैक्स प्रणाली का सीधे तौर पर फायदा आम उपभोक्ताओं को मिलने वाला है। जहां एक ओर रोजमर्रा का सामान सस्ता होगा, वहीं दूसरी ओर महंगे इलेक्ट्रॉनिक और गाड़ियों तक पर टैक्स का बोझ कम हुआ है। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और त्योहारों के दौरान बिक्री में उछाल आने की संभावना है। जीएसटी दरों में यह कटौती लंबे समय से चली आ रही जटिल कर प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। सरकार ने यह साफ संकेत दिया है कि टैक्स व्यवस्था को उपभोक्ता हितैषी बनाया जाएगा। अब देखना यह होगा कि बाजार पर इसका कितना असर पड़ता है और उपभोक्ताओं को कितनी वास्तविक राहत मिलती है। फिलहाल, इस फैसले ने आम आदमी की जेब को राहत दी है और त्योहारों से पहले बाजार को एक नई रफ्तार देने का काम किया है।

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