पीयू में नई शिक्षा नीति को लेकर धरना प्रदर्शन, आइसा छात्र संगठन ने राज्यपाल का पुतला फूंका

पटना। बिहार के विश्वविद्यालयों में 4 सलाना अंतर स्नातक कोर्स ‘FYUP’ और ‘NEP 2020’ लागू करने के खिलाफ में आज छात्र संगठन आइसा ने जमकर प्रदर्शन किया। वही इस दौरान सभी छात्रों ने पीयू के मेन गेट पर बिहार के राज्यपाल का पुतला दहन किया और जमकर नारेबाजी की। जब से FYUP और NEP 2020 लागू किया गया तब से इनका यह आंदोलन चल रहा है। वही इनका कहना है कि जब तक सरकार इसे वापस नहीं लेगी तब तक हमारा ये आंदोलन जारी रहेगा। वही प्रदर्शन करती छात्रा प्रीती कुमारी ने बताया कि जब से केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति संसद से पारित हुई है। तब से आइसा छात्र संगठन इसका विरोध कर रहा है। अब यह बिहार के भी हर यूनिवर्सिटी में इसे लागू किया जा रहा है। FYUP में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट की बात करता है। जिसका मतलब हुआ कि एक ऑनर्स डिग्री का फिक्स क्रेडिट सांख्य तय कर दिया जायेगा और उसको कई विश्वविद्यालयों में प्रवेश कर या निकल कर दूसरे विश्वविद्यालय से इकट्ठा कर सकते हैं। वही बीए प्रथम वर्ष अगर पटना युनिवर्सिटी से कर लिया है तो दूसरा वर्ष मिथिला युनिवर्सिटी या किसी और युनिवर्सिटी से कर सकते है। अलग-अलग सेमेस्टर में अलग-अलग विश्वविद्यालय में प्रवेश कर कुछ कोर्स पढ़ कर क्रेडिट इकट्ठा कर सकते हैं। फिर निकल कर कहीं और से कुछ सेमेस्टर/कोर्स पढ़ कर कुछ और क्रेडिट इकट्ठा कर सकते हैं। सुनने में तो ऐसा लग रहा कि शायद बहुत आजादी होगी और कहीं का छात्र कहीं जा कर पढ़ सकता है। लेकिन क्या यह संभव है? बिल्कुल नहीं। ये बिल्कुल आंखों में धूल झोंकने की तरह हैं।

वही आइसा राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम ने कहा कि FYUP लागू होने से जिस विषय में ऑनर्स करना चाहते हैं, उसके कोर पेपर को घटा दिया जाएगा और उसके जगह पर कौशल विकाश तथा भारतीय ज्ञान परंपरा के नाम पर मूर्ति पूजा, वैदिक ज्ञान, ज्योतिष विद्या, फिट इंडिया, योग, आयुर्वेद, स्पोर्ट्स फॉर लाइफ, इमोशनल इंटेलिजेंस जैसे विषय पढ़ाने की बात कही जा रही हैं। इससे छात्र-छात्राओं को अपने विषय की गहरी समझ नहीं हो पाएगी। यह विद्यार्थियों के भीतर अवैज्ञानिक सोच एवं अंधविश्वास को बढ़ावा देगा। भारतीय ज्ञान परंपरा के नाम पर ब्राह्मणवादी परंपरा पढ़ाया जाएगा। वही आइसा पटना विश्वविद्यालय अध्यक्ष नीरज यादव ने कहा कि सरकारें नई शिक्षा नीति एवं FYUP में स्किल डेवलपमेंट कोर्स को पढ़ा कर कॉर्पोरेट्स के लिए सस्ता मजदूर पैदा करना चाहती है। शोधपरक शिक्षा या उच्च शिक्षा से वंचित कर देना चाहती हैं। ज्ञान विज्ञान का विकास या उसमें खर्च करना मोदी सरकार को फिजूल की वस्तु लगती हैं। शिक्षा का मतलब बस कुछ स्किल सिखा कर मजदूर पैदा कर देना चाहती है। जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव वंचित-गरीबों पर पड़ेगा।

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