सीएम नीतीश के साथ अब कभी नहीं आ सकती भाजपा, एनडीए छोड़कर जाने से बीजेपी कार्यकर्ता खुश : विजय सिन्हा

पटना। बिहार में नीतीश कुमार राजद के साथ महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री है। हालांकि कई बार राजनीतिक गलियारे में ऐसी खबरें सामने आयी है कि नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं। इस पर बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा का कहना है कि बीजेपी के साथ नीतीश अब कभी भी नहीं आ सकती। नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर जाने से बीजेपी कार्यकर्ताओं में खुशी है। दरअसल, विजय सिन्हा ने एक मीडिया को दिये इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी के साथ नीतीश अब कभी भी नहीं आ सकती। नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर जाने से बीजेपी कार्यकर्ताओं में खुशी है। भले बीजेपी विपक्ष में हो लेकिन कार्यकर्ता जोश और उत्साह से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर एनडीए सत्ता में आई थी और पूर्व को घोषणा के मुताबिक नीतीश कुमार सीएम बने। इसके बाद नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री की कुर्सी दिखाई देने लगी, वे महागठबंधन के साथ चले गए, इसमें बीजेपी ने कहीं पलटी नहीं मारी है। पीएम बनने का सपना लेकर नीतीश जी महागठबंधन में गए हैं। इसे जनता देख रही है। आज बीजेपी दमदार तरीके से विपक्ष की भूमिका निभा रही है। विजय सिन्हा ने कहा कि नीतीश जी दरअसल काफी महत्वाकांक्षी व्यक्ति हैं। वे बिना सत्ता के नहीं रह सकते। उनकी पार्टी कभी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी, फिर भी जैसे तैसे सीएम की कुर्सी पर बरकरार रहे। पिछले विधानसभा में भी उनकी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी थी, लेकिन सीएम वही रहे। चुनाव से पूर्व बीजेपी ने घोषणा की थी। ज्यादा सीट आने के बावजूद हमने अपने वादे के मुताबिक उन्हें सीएम बनाया, लेकिन वे फिर उसी राजद के पास पहुंच गए, जिनके कार्यकाल के जंगल राज से बिहार को बाहर निकाल कर हमलोग यहां लाए थे।

वही उन्होंने कहा कि इतना तो जान लीजिए अब बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो गए हैं। कुछ महीनों के बाद जदयू नाम की राजनीतिक पार्टी देखने तक को नहीं मिलेगी। हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव के परिणाम ने साफ संकेत दे दिया है कि जदयू अब इतिहास की बात रह गई है। अगले चुनाव में बीजेपी और राजद ही नजर आएगी। नीतीश जी खुद अपना उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव को मान चुके है। सार्वजनिक तौर पर वे कह चुके हैं कि अब तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाना है। क्या जदयू में ऐसा कोई नेता नहीं, जिसे आगे बढ़ाया जाए? जदयू के नेताओं में आज असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो गई है। लोग समय की तलाश में हैं। जदयू में वही नेता हैं जो राजद के जंगलराज के खिलाफ लड़ाई लड़कर यहां आए हैं और आज आप उसी जंगलराज के पुरोधा के साथ गलबहिया कर रहे हैं, कोई इसे स्वीकार करेगा?

About Post Author

You may have missed