September 14, 2025

पटना में नीट के अभ्यर्थी ने की आत्महत्या, डिप्रेशन में आकर उठाया कदम, फंदे से लटका मिला शव

पटना। दानापुर इलाके में स्थित साधना कॉटेज हॉस्टल में नीट की तैयारी कर रहे छात्र रोहित कुमार मेहता ने आत्महत्या कर ली। रोहित बक्सर जिले के चनवथ गांव का निवासी था और मुखिया पंकज कुमार मेहता का पुत्र था। वह पटना में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। रविवार की रात यह दुखद घटना सामने आई जब वह इस्कॉन मंदिर से लौटने के बाद अपने कमरे में गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया।
कमरे में मिला शव
रात लगभग साढ़े आठ बजे जब उसके रूम पार्टनर आर्यन ने आवाज लगाई और दरवाजा नहीं खुला, तब हॉस्टल के अन्य छात्रों और मालिक की मदद से दरवाजा तोड़ा गया। कमरे के अंदर रोहित का शव पंखे से फंदे पर लटका मिला। तुरंत ही पुलिस को सूचना दी गई और एफएसएल की टीम ने मौके पर पहुंचकर सबूत जुटाए। शव को पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल भेज दिया गया।
डिप्रेशन बना आत्महत्या का कारण
रोहित पहले बिहटा में रहकर फिजिक्सवाला कोचिंग संस्थान में पढ़ाई कर रहा था। इस वर्ष नीट परीक्षा में अपेक्षा से कम अंक आने के कारण वह गहरे तनाव में था। उसके पिता पंकज कुमार मेहता ने बताया कि परीक्षा के परिणाम से वह काफी निराश था। परिजनों ने उसे समझाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन मानसिक अवसाद गहराता गया। घटना से कुछ घंटे पहले यानी दोपहर लगभग ढाई बजे उसकी अपने घरवालों से फोन पर बात हुई थी, उस समय वह सामान्य स्थिति में था।
हाल ही में हुई थी शादी
यह भी उल्लेखनीय है कि रोहित की शादी इसी साल 11 अप्रैल को हुई थी। उसके परिवार में यह हादसा गहरे सदमे का कारण बन गया है। पिता पंकज ने बताया कि वह बेटे की हालत को लेकर चिंतित थे, लेकिन यह कल्पना नहीं की थी कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा।
रूम पार्टनर की प्रतिक्रिया और हॉस्टल संचालक का बयान
रूम पार्टनर आर्यन ने बताया कि रोहित रविवार को इस्कॉन मंदिर घूमने गया था। जब वह लौटा तो दरवाजा बंद कर लिया और फिर किसी की आवाज का जवाब नहीं दिया। हॉस्टल संचालक रौशन कुमार ने कहा कि रोहित 3 जून से उनके हॉस्टल में रह रहा था और वह एक खुशमिजाज और मिलनसार छात्र था। उन्होंने बताया कि ऐसा कभी आभास नहीं हुआ कि रोहित मानसिक रूप से इतना परेशान था।
स्थानीय विधायक का दौरा
डुमरांव के विधायक डॉ. अजीत कुशवाहा भी घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी और प्रशासन से उचित जांच की मांग की। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव छात्रों पर किस हद तक असर डालता है। अवसाद और मानसिक तनाव की उपेक्षा आज के युवाओं के लिए जानलेवा सिद्ध हो रही है। यह आवश्यक है कि अभिभावक, शिक्षक और समाज मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक बनें और समय रहते बच्चों की मानसिक स्थिति पर ध्यान दें। रोहित की आत्महत्या न केवल एक परिवार की पीड़ा है, बल्कि यह पूरे शैक्षणिक तंत्र के लिए एक चेतावनी भी है।

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