नई सरकार में किंग मेकर बनेंगे नायडू और नीतीश कुमार, पाला बदलकर पलटेंगे बाजी

नई दिल्ली/पटना। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक तरह से झटका ही दिया है। हलांकि, पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाती तो दिख रही है, लेकिन इसमें भी एक रुकावट है। एनडीए के दो सहयोगी दल ऐसे हैं जो सरकार बनाने में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। 290 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा पार करने के बाद भी भाजपा टेंशन में है। ये दो सहयोगी दल में एक नीतीश कुमार की जेडीयू है तो वहीं अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने की ओर बढ़ रही टीडीपी है। टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू हैं। दोनों पार्टी के खाते में 15 और 16 सीटें आती दिख रही हैं। विपक्षी गठबंधन इंडिया भी इन्हीं दोनों को पार्टियों को लुभाकर एनडीए के तीसरी बार सरकार बनाने से रोकना चाहती है।
जेडीयू और टीडीपी दोनों बन सकती हैं किंगमेकर
बीजपी और उसके एनडीए को शायद ही इल्म रहा होगा कि 2024 के नतीजे ऐसे आएंगे। फाइनल नतीजे जारी होने के बाद अगर इनमें कोई बदलाव नहीं होता है तब तीसरी बार सत्ता की बाट जोह रही एनडीए को झटका लग सकता है। 296 सीटों से बहुमत तो बनता दिख रहा है, लेकिन इंडिया गठबंधन भी 229 सीटों के साथ बहुत दूर नहीं है। ऐसे में अभी यह भी हो सकता है कि बीजेपी सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार भी न बना पाए। मोदी का तीसरी बार सत्ता की बागडोर जेडीयू और टीडीपी छीन सकते हैं। दोनों पार्टियों ने हालांकि ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन विपक्ष उनसे संपर्क बनाने की कोशिश कर रहा है। इंडिया गठबंधन के लिए सबसे आसान टार्गेट सीएम नीतीश हैं। हाल ही में इंडिया से पाला बदलकर एनडीए में आए नीतीश कुमार अग दोबारा विपक्ष की ओर झुकते हैं तो अतिशियोक्ति नहीं होगी। चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी ने भी चुनाव से ठीक पहले एनडीए में दोबारा वापसी की थी। बता दें दोनों को कुल 31 सीटें इस चुनाव में मिली हैं।
टीडीपी और जेडीयू को कितनी सीटें मिलीं?
तेलगू देशम पार्टी को अभी तक के आंकड़ों के अनुसार, 16 सीटें मिलती दिख रही हैं और जेडीयू को 15 सीटें मिलती दिख रही हैं। अगर ये दोनों पार्टियां विपक्ष के लुभावने ऑफर को अपनाकर एनडीए का साथ छोड़ती हैं हैं तो, दिक्कत हो सकती है। एनडीए को अभी तक 290 सीटें मिली हैं जिसमें बीजेपी को अकेले 241 सीटें आई हैं। जेडीयू की 15 और टीडीपी की 16 सीटें मिलाकर 31 होती हैं और 31 सीटें हटने के बाद, एनडीए बहुमत से भी दूर हो जाएगा। 31 सीट घटने के बाद एनडीए 296 से घटकर 265 तक चली जाएगी, ऐसे केस में सत्ता के लिए रस्साकसी का दौर शुरू हो जाएगा।
क्या जेडीयू और टीडीपी साथ छोड़ सकते हैं?
जनता दल यूनाइटेड के मुखिया नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि नीतीश तो सबके हैं। जितनी बार उन्होंने पलटी मारी, शायद ही कोई उनके करीब भी होगा। विपक्ष उन्हें पीएम, डिप्टी पीएम या और कोई बड़ा पद का ऑफर देकर लालच दे सकता है। वहीं हाल ही में एनडीए से दोबारा जुड़े टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने भी छोड़ने के संकेत तो नहीं दिए हैं, लेकिन चर्चा है कि उनसे विपक्ष की तरफ से संपर्क साधा जा रहा है। हालांकि अभी कुछ भी आधिकारिक नहीं है, लेकिन ये दोनों पार्टियां एनडीए या इंडिया किसी के लिए किंगमेकर की भूमिका निभा सकती हैं।
दोनों पार्टियां सियासी मोलभाव खूब करती हैं
हालांकि दोनों पार्टियों ने लोकसभा का चुनाव बीजेपी के साथ गठजोड़ करके लड़ा था लेकिन दोनों ही दल ऐसे हैं जो अपने सियासी फायदे नुकसान के लिए मोलभाव करने में कभी पीछे नहीं रहते। लिहाजा ये बार बार पाला भी बदलते रहे हैं। बीजेपी से दोनों ही सियासी दलों के रिश्ते लव हेट वाले रहे हैं।
नीतीश कई बार पाला बदल चुके हैं
नीतीश कुमार ने एक बार नहीं बल्कि पांच बार से ज्यादा पाला बदला और कभी बीजेपी के साथ गए तो कभी आरजेडी के साथ। उन्होंने कुछ समय पहले बीजेपी के साथ गठजोड़ इसलिए किया था, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि बीजेपी के साथ जाना उनके लिए फायदेमंद रहेगा और इससे वो राज्य में भी अपनी सरकार बचाए रखेंगे। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।
बिहार में नीतीश बड़े विजेता बनकर उभरे
बिहार में 40 लोकसभा सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी सबसे बड़ी विजेता बनकर उभर रही है। वो वहां 15-16 सीटें जीतने की स्थिति में हैं तो बीजेपी 13 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। ये बात सही है कि नीतीश कुमार ने समय समय जो संकेत दिये हैं, उसके अनुसार बीजेपी से उनके दिल नहीं मिलते लेकिन सियासत की मजबूरी उन्हें मिलाकर रखती है। जब बीजेपी इस समय इस चुनावों में उतनी मजबूत नहीं रह गई तो ये देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार क्या करते हैं।
चंद्रबाबू नायडू भी मंझे हुए नेता
यही स्थिति चंद्रबाबू नायडू के साथ भी है। वह बीजेपी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद कभी उनके सहयोगी दल रहे तो कभी विपक्ष में उनके खिलाफ बैठे। नायडू की तेलुगुदेशम तो मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी ला चुकी है। आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी की राजनीति के चलते उन्हें फिर बीजेपी के साथ आने को मजबूर किया लेकिन अब जबकि वो आंध्र प्रदेश में विधानसभा में जीत हासिल कर चुके हैं और लोकसभा चुनावों में भी करीब 16-17 सीटें हासिल करने की स्थिति में हैं तो वह अब उस स्थिति में हैं जहां वह कड़ा सियासी मोलभाव कर सकते हैं।
कांग्रेस भी करेगी दोनों से बात
कांग्रेस चुनाव परिणामों के बीच संकेत दे चुकी है कि वह अब जेडीयू और तेलुगुदेशम से बातचीत शुरू करने जा रही है। जाहिर है कि ये दोनों ही पार्टियां ऐसी हैं कि अपने सियासी फायदे नुकसान के लिए किसी के साथ भी जा सकती हैं।
