मुकेश सहनी का चिराग पर तंज, कहा- चिराग में अकेले 243 सीटों पर लड़ने की हिम्मत नहीं, कर रहे दबाव की राजनीति

पटना। बिहार की सियासत में एक बार फिर से बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वे बिहार विधानसभा चुनाव की सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। उन्होंने इस घोषणा को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए इसे सम्मान और विकास की लड़ाई करार दिया। चिराग ने यह भी कहा कि वे एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक बेटे के रूप में लड़ रहे हैं और खुद को शेर का बेटा बताते हुए जनता से समर्थन मांगा। उन्होंने कहा कि 2025 का चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य को तय करेगा। जनता से उन्होंने अपील की कि किसी भी पार्टी या नेता पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, बल्कि उनसे सवाल करें कि उन्होंने अब तक क्या किया।
मुकेश सहनी का तीखा हमला
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने चिराग पासवान के इस ऐलान पर तीखा कटाक्ष किया है। सहनी ने कहा कि चिराग में वास्तव में 243 सीटों पर लड़ने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि पहले के चुनावों में चिराग केवल 135 सीटों पर ही लड़े थे। ऐसे में अब 243 सीटों पर लड़ने का दावा महज दबाव की राजनीति है। सहनी ने चुटकी लेते हुए कहा कि शेर का बेटा आधे मैदान में नहीं लड़ता, वह पूरी ताकत से उतरता है। साथ ही उन्होंने चिराग को शुभकामनाएं भी दीं कि अगर वास्तव में वो सभी सीटों पर लड़ें, तो यह उनका स्वागतयोग्य कदम होगा।
राजनीति में दबाव और समीकरण
सहनी ने अपने बयान में यह भी इशारा किया कि चिराग की राजनीति अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द घूमती है। उन्होंने कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी 2029 तक देश की सत्ता में हैं, तब तक चिराग पासवान उन्हीं की छत्रछाया में राजनीति करेंगे। सहनी का यह बयान स्पष्ट रूप से चिराग पर यह आरोप लगाने के लिए था कि वे पूरी तरह स्वतंत्र राजनीतिक सोच नहीं रखते और भाजपा की नीति पर चल रहे हैं।
चिराग की कांग्रेस और आरजेडी पर टिप्पणी
इस बीच चिराग पासवान ने कांग्रेस और आरजेडी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन दलों ने बिहार की जनता को केवल वादों और जातिगत समीकरणों में उलझा कर रखा है। चिराग ने भाजपा और नीतीश कुमार के गठबंधन को सामाजिक न्याय और विकास का असली वाहक बताया। उन्होंने कहा कि बिहार को अब नेतृत्व की नहीं, एक स्पष्ट विजन की जरूरत है।
जनता से अपील और सवाल उठाने की सलाह
अपने अभियान को जनभागीदारी वाला बनाते हुए चिराग ने जनता से यह अपील की कि वे किसी भी राजनीतिक दल के लुभावने वादों पर भरोसा न करें, बल्कि उनसे यह जानने की कोशिश करें कि वे अब तक क्या कर पाए हैं। चिराग ने यह भी कहा कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने मत का प्रयोग सोच-समझ कर करे, क्योंकि यह निर्णय अगले पांच वर्षों के लिए उनके और राज्य के भविष्य को प्रभावित करेगा। बिहार की सियासत में यह बयानबाजी भविष्य की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। एक ओर चिराग पासवान खुद को नई पीढ़ी के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी ओर मुकेश सहनी जैसे नेता उनकी रणनीति और दावों को चुनौती दे रहे हैं। आने वाले चुनाव में जनता ही तय करेगी कि किसका विजन और नेतृत्व राज्य को नई दिशा देगा। फिलहाल, सियासी बयानबाजी के इस दौर ने बिहार के चुनावी माहौल को गरमा दिया है।
