मुकेश सहनी ने दिखाएं बागी तेवर, महागठबंधन छोड़ने की तैयारी, करेंगे बड़ा ऐलान
- नामांकन की डेडलाइन नजदीक, महागठबंधन में बढ़ा तनाव
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन की समयसीमा जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे महागठबंधन के भीतर तनाव बढ़ता जा रहा है। नामांकन की अंतिम तिथि में अब महज 31 घंटे बचे हैं, और इस बीच विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच खींचतान चरम पर पहुंच गई है। महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर सहनी की नाराजगी अब खुलेआम दिखाई देने लगी है। सूत्रों के अनुसार, अगर जल्द ही सहमति नहीं बनी तो वीआईपी पार्टी गठबंधन से नाता तोड़ सकती है।
सहनी की मांग और तेजस्वी का रुख
सूत्रों के मुताबिक मुकेश सहनी ने 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में अपनी पार्टी के लिए कम से कम 24 सीटों की मांग रखी है। वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस मांग को खारिज करते हुए साफ कहा है कि वीआईपी को 15 सीटों से अधिक नहीं दी जा सकती। सीटों की संख्या पर इस मतभेद ने दोनों दलों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। तेजस्वी का यह सख्त रुख सहनी को नागवार गुजरा है, और यही कारण है कि वे अब गठबंधन छोड़ने का मन बना चुके हैं।
पत्रकार वार्ता का ऐलान और फिर स्थगन
गुरुवार को दोपहर तक मुकेश सहनी ने महागठबंधन से अलग होने का संकेत देते हुए पत्रकार वार्ता बुला ली थी। उन्होंने ऐलान किया कि वे दोपहर 12 बजे महागठबंधन छोड़ने की घोषणा करेंगे। हालांकि, दिल्ली से कांग्रेस और राजद के नेताओं के फोन आने के बाद उन्होंने इसे शाम 4 बजे तक टाल दिया। बताया जा रहा है कि तेजस्वी यादव ने सहनी से बात कर उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन सहनी ने अल्टीमेटम दिया कि अगर दो घंटे में सीट बंटवारे की स्पष्ट घोषणा नहीं हुई तो वे गठबंधन से बाहर हो जाएंगे।
सीट बंटवारे की जटिल स्थिति
महागठबंधन के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस समय बातचीत “ब्रेकिंग पॉइंट” पर पहुंच चुकी है। बुधवार को मुकेश सहनी को सूचित किया गया था कि कांग्रेस और राजद के बीच यह सहमति बन गई है कि वीआईपी को कुल 18 सीटें दी जाएंगी। इनमें से 10 सीटें राजद अपने कोटे से देगा जबकि 8 सीटें कांग्रेस की ओर से मिलेंगी। राजद ने अपनी तरफ से सीटों की लिस्ट मुकेश सहनी को सौंप दी, लेकिन कांग्रेस की ओर से अब तक कोई ठोस सूची नहीं दी गई है।
कांग्रेस के रुख से बढ़ी परेशानी
कांग्रेस की देरी से महागठबंधन के भीतर असंतोष और बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस लगातार अपनी हिस्सेदारी को लेकर अड़चने खड़ी कर रही है और इस कारण सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति नहीं बन पा रही। कांग्रेस के इस रवैये से न केवल वीआईपी बल्कि अन्य सहयोगी दल भी नाराज हैं। बुधवार को पटना एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने ही पार्टी प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के खिलाफ नारेबाजी की, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी के भीतर भी असंतोष पनप रहा है।
तेजस्वी का भरोसा और सहनी की नाराजगी
तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी को भरोसा दिलाया है कि यदि पहले चरण में उनकी मांग पूरी नहीं हो पाती, तो दूसरे चरण में वीआईपी के सिंबल पर राजद के कुछ उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाकर उनकी सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी। हालांकि, सहनी का कहना है कि यह आश्वासन अब भरोसेमंद नहीं रह गया है क्योंकि बार-बार वादे किए जा रहे हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा।
गठबंधन के भीतर बढ़ रहा अविश्वास
महागठबंधन के सूत्रों का कहना है कि सीट बंटवारे की पूरी प्रक्रिया कांग्रेस की “टोका-टोकी” की वजह से उलझ गई है। राजद और कांग्रेस के बीच यह खींचतान अब अन्य सहयोगी दलों को भी प्रभावित कर रही है। वीआईपी समेत कई दलों को लगने लगा है कि अगर यही स्थिति रही तो महागठबंधन की एकजुटता खतरे में पड़ सकती है और इसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा।
सहनी का राजनीतिक वजन और आगामी रणनीति
मुकेश सहनी, जिन्हें ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से जाना जाता है, बिहार की राजनीति में खासकर पिछड़ी जातियों और मछुआरा समाज में एक मजबूत पकड़ रखते हैं। पिछली बार एनडीए छोड़कर उन्होंने महागठबंधन का दामन थामा था, लेकिन अब वे एक बार फिर रास्ता बदल सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि वीआईपी महागठबंधन से बाहर होती है, तो इसका असर कई सीटों पर पड़ सकता है, खासकर उन इलाकों में जहां सहनी का जनाधार मजबूत है।
महागठबंधन के भविष्य पर प्रश्नचिह्न
वर्तमान हालात यह संकेत दे रहे हैं कि महागठबंधन के भीतर मतभेद लगातार गहराते जा रहे हैं। कांग्रेस, राजद और वीआईपी के बीच समन्वय की कमी अब खुलकर सामने आ चुकी है। अगर अगले 24 घंटों में सीट बंटवारे को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो मुकेश सहनी के गठबंधन से अलग होने की संभावना बढ़ जाएगी।
चुनाव पूर्व असंतुलन का संकेत
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से ठीक पहले महागठबंधन में चल रही यह उठापटक चुनावी समीकरणों को पूरी तरह बदल सकती है। जहां एक ओर एनडीए एकजुट होकर प्रचार अभियान में जुटा है, वहीं विपक्षी गठबंधन अंदरूनी कलह में उलझा हुआ है। मुकेश सहनी की नाराजगी और सीट बंटवारे पर जारी गतिरोध यह संकेत दे रहे हैं कि महागठबंधन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, वरना यह मतभेद चुनावी नतीजों में भी साफ झलक सकते हैं।


