मनमोहन सिंह के निधन पर बिहार में सात दिनों राजकीय शोक घोषित, पूर्व पीएम के सम्मान में आदेश जारी

पटना। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर फैल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अनेक बड़े नेताओं ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया। इसी क्रम में बिहार सरकार ने भी डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए 26 दिसंबर 2024 से 1 जनवरी 2025 तक सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है।
बिहार सरकार का आदेश
बिहार सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि डॉ. मनमोहन सिंह का निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके सम्मान में राजकीय शोक की अवधि के दौरान सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इस अवधि में किसी भी प्रकार के सरकारी समारोह या मनोरंजन से संबंधित कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।
एक महान नेता को श्रद्धांजलि
डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में योगदान अतुलनीय है। एक प्रख्यात अर्थशास्त्री के रूप में उनकी पहचान थी, और प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार हुए, जिनमें 1991 के आर्थिक उदारीकरण के फैसले ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
अंतिम संस्कार की तैयारी
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 28 दिसंबर 2024 को दिल्ली में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके अंतिम दर्शन के लिए देशभर से नेता और गणमान्य व्यक्ति दिल्ली पहुंच रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस दुखद अवसर पर शोक व्यक्त किया और डॉ. सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली जाने की घोषणा की है। डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के विकास में अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उनके कार्यकाल में लागू की गई योजनाएं और नीतियां आज भी भारत की प्रगति में अहम भूमिका निभा रही हैं। उनकी सादगी, ज्ञान और दूरदृष्टि ने उन्हें देश और दुनिया में सम्मान दिलाया। बिहार सरकार द्वारा घोषित सात दिनों का राजकीय शोक, डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति गहरे सम्मान और श्रद्धा को दर्शाता है। यह निर्णय इस बात को रेखांकित करता है कि उनका योगदान और विरासत हमेशा देशवासियों के दिलों में जीवित रहेगी। उनके निधन से भारत ने एक महान नेता को खो दिया है, लेकिन उनका कार्य और विचार आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
