November 17, 2025

गिरिराज सिंह का तेजस्वी पर हमला, कहा- कपूत को मां आशीर्वाद नहीं देती, जीवन में कभी नही मिलेगी सत्ता

पटना। बिहार में दुर्गा पूजा के मौके पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रदेश और देशवासियों को नवरात्र की शुभकामनाएं देते हुए मां दुर्गा से प्रार्थना की थी कि बिहार को अब गरीबी, भुखमरी और पलायन जैसी समस्याओं से मुक्त किया जाए। लेकिन तेजस्वी की इस प्रार्थना पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी और जमकर हमला बोला।
तेजस्वी की प्रार्थना
तेजस्वी यादव ने नवरात्र के शुभ अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि बिहार ने पिछले 20 वर्षों में गरीबी, पलायन, भुखमरी, अपराध, भ्रष्टाचार और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली बहुत सह ली है। उन्होंने मां दुर्गा से प्रार्थना की कि अब बिहार को इन दुखों से निजात दिलाया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें जनसेवा के लिए शक्ति दी जाए ताकि हर घर में खुशहाली, समृद्धि और प्रगति लाई जा सके। तेजस्वी ने जनता के लिए बायन देकर संदेश दिया कि वे बिहार को एक नए रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। उनका कहना था कि नवरात्र का पावन पर्व प्रदेश में सुख, शांति और प्रगति लेकर आए।
गिरिराज सिंह ने किया पलटवार
तेजस्वी की इस अपील पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने करारा जवाब देते हुए कहा कि कपूत को मां दुर्गा कभी आशीर्वाद नहीं देतीं। उन्होंने कहा कि अगर आशीर्वाद मिलेगा भी तो सत्ता का सुख कभी नहीं मिलेगा। गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि तेजस्वी के पिता और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शासनकाल में बिहार को बर्बादी की ओर धकेला और वह इतिहास अब दोहराया नहीं जाएगा। गिरिराज ने यहां तक कहा कि करोड़ों बेटे मां दुर्गा से यही आशीर्वाद मांगते हैं कि लालू परिवार को सत्ता में वापसी न मिले, क्योंकि उनके शासनकाल में बहनों-बेटियों की इज्जत असुरक्षित थी और आम जनता भय और भ्रष्टाचार से पीड़ित थी।
दुर्गा पूजा के मौके पर बयान
दुर्गा पूजा का पर्व पूरे देश के साथ बिहार में भी उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसी मौके पर जब अन्य नेताओं ने जनता को शुभकामनाएं दीं, वहीं तेजस्वी यादव और गिरिराज सिंह के बीच यह राजनीतिक जुबानी जंग छिड़ गई। गिरिराज सिंह का यह बयान परंपरागत राजनीतिक हमले से अलग था, क्योंकि उन्होंने धार्मिक भावनाओं का सीधे तौर पर इस्तेमाल करते हुए तेजस्वी पर तंज कसा।
राजद की शुभकामनाएं
तेजस्वी के अलावा राजद के शीर्ष नेताओं ने भी नवरात्र की बधाई दी। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती, प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगदानंद सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी और सांसद मनोज झा समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने नवरात्र की शुभकामनाएं दीं। इन नेताओं ने भी यही कामना की कि यह पर्व बिहार में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। राजद नेताओं की ओर से आए संदेश इस बात का संकेत माने जा रहे हैं कि पार्टी ऐसे धार्मिक अवसरों पर जनता के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखना चाहती है।
सत्ता विरोधी और सत्ता समर्थक राजनीति
दरअसल, बिहार की राजनीति में लंबे समय से धार्मिक अवसरों का इस्तेमाल राजनीतिक संदेश देने के लिए किया जाता रहा है। इस बार भी नवरात्र के मौके पर यह परंपरा कायम रही। तेजस्वी यादव ने अपनी भावनात्मक अपील के जरिए लोगों को यह संकेत दिया कि वे प्रदेश की समस्याओं को खत्म करके नया बिहार बनाना चाहते हैं। वहीं, गिरिराज सिंह ने इस अवसर का उपयोग विपक्ष पर हमला करने और लालू परिवार को सत्ता से दूर रखने की इच्छा को सामने रखने में किया। यह बयान भाजपा और राजग की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें राजद शासनकाल की याद दिलाकर लोगों को सचेत करने की कोशिश होती है।
जनता के बीच संदेश
तेजस्वी की प्रार्थना और गिरिराज के विरोध दोनों का मकसद जनता तक संदेश भेजना है। तेजस्वी जहां बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को उठाकर जनसमर्थन पाना चाहते हैं, वहीं गिरिराज सिंह इसी मौके पर यह जताना चाहते हैं कि अगर लालू परिवार सत्ता में लौटेगा तो बिहार एक बार फिर पिछड़े दिनों में चला जाएगा। नवरात्र का यह पर्व बिहार में राजनीतिक बयानबाजी का मंच भी बन गया है। एक ओर तेजस्वी यादव ने मां दुर्गा से राज्य को समृद्ध और खुशहाल बनाने का आशीर्वाद मांगा, तो दूसरी ओर गिरिराज सिंह ने इसे लक्ष्य बनाकर तीखा हमला बोला और दावा किया कि मां दुर्गा ऐसे “कपूतों” को कभी सत्ता का आशीर्वाद नहीं देतीं। दोनों बयानों ने साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर सिर्फ आस्था के प्रतीक नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश और चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा भी होते हैं। आने वाले चुनावों में ये मुद्दे कितनी दूर तक असर डालेंगे, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि राजनीति और धर्म की यह जुगलबंदी बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में लगातार बनी रहेगी।

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