September 18, 2025

अतिपिछड़ों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए जातिगत गणना के खिलाफ साजिश रचती आ रही है भाजपा : राजीव रंजन

पटना। सुप्रीम कोर्ट से जातीय गणना का रास्ता साफ़ होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए JDU के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दबाव में केंद्र सरकार ने जिस तरह से हलफनामे को बदला है उससे साफ़ पता चलता है कि बिहार के जातीय गणना को रोकने की कितनी गहरी साजिश चल रही थी। बिहार सरकार ने शुरुआत से इसे सर्वे बताया है, यहां तक कि बिहार सभी पार्टियों के एक-एक विधायक और विधानपार्षद से सहमती भी ली थी, लेकिन पर्दे के पीछे से बिहार भाजपा के नेताओं के पड़ रहे दबाव के कारण केंद्र सरकार इसे जबर्दस्ती जनगणना बता कर इसे रुकवाना चाहती थी। यह दिखाता है कि भाजपा के नेता मुंह में राम बगल में छूरी की नीति पर काम करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि 1931 की जातिगत जनगणना के बाद से आज तक में देश की सभी जातियों की दशा-दिशा में काफी परिवर्तन आये हैं। वही इसके बाद कई जनगणनायें हुई, जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति को छोड़ कर अन्य किसी जाति की संख्या की गणना नहीं की गयी। यह पिछड़े और अतिपिछड़े समाज के साथ सरासर अन्याय है। आंकड़ा पता चलने से पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों को आरक्षण का फायदा देकर उन्हें मजबूत बनाया जा सकता है। वही इससे वर्ग विशेष को लक्ष्य कर योजनाएं बनाने और उन्हें जरूरतमंदों तक पहुँचाने में भी आसानी होगी। JDU महासचिव ने कहा कि जातिगत जनगणना के महत्व को देखते हुए ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग जो कि एक संवैधानिक निकाय है, ने भी इसकी सिफारिश की है।

सामाजिक न्याय मंत्रालय की संसदीय समिति ने भी इस अनुरोध का समर्थन किया है। लेकिन भाजपा सरकार आज भी इसका पुरजोर विरोध कर रही है। यह दिखाता है कि यह अतिपिछड़ों को रोकने के लिए किसी भी हद को पार कर सकते हैं, उन्होंने कहा कि भाजपा को समझना चाहिए कि देश के विकास के लिए समाज के सभी तबकों का विकास होना बेहद जरूरी है। वही इसके लिए जरूरी है कि सभी जातियों की वास्तविक संख्या तथा उनकी सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा की स्थिति के सही आंकड़े सभी को पता रहे। 1931 के बाद से आज तक पिछड़ी जातियों की वास्तविक संख्या का निर्धारण नहीं हो सका है। ऐसे में पिछड़ी जातियों की विकास की बातें हवा-हवाई साबित हो रही हैं। नीतीश सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार व भाजपा के लाख रोड़े अटकाने के लिए लाख कदम उठाये लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सारी बाधाओं को पार करते हुए अपने दम पर इस गणना को करवा कर ही दम लिया। यह दिखाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछड़े-अतिपिछड़े समाज के विकास के लिए कितने दृढ़प्रतिज्ञ हैं।

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