November 15, 2025

मोदी की गारंटी में दिलाई बिहार में जीत, जायसवाल बोले- पीएम का असर चुनाव में दिखा, तभी मिली बंपर जीत

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने राजनीतिक माहौल को पूरी तरह बदल दिया है। एनडीए को मिली प्रचंड जीत का श्रेय जहां बीजेपी पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी “गारंटी” को दे रही है, वहीं संगठनात्मक रणनीति में अमित शाह के योगदान को भी अहम माना जा रहा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट कहा कि बिहार की जनता ने मोदी की गारंटी को दिल से स्वीकार किया है, यही एनडीए की भारी जीत का मुख्य कारण है।
मोदी की गारंटी बनी चुनाव का केंद्र
दिलीप जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता आज देशभर में अपने शिखर पर है। लोग मोदी की गारंटी को विकास, सुरक्षा और स्थिरता का पर्याय मानते हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने बिहार चुनाव के लिए लगभग एक साल पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। चुनाव अभियान के दौरान पीएम मोदी ने बिहार में 11 बड़ी जनसभाएं कीं और इन सभाओं में केंद्र की योजनाओं, बिहार को मिले सहयोग और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। जनसभाओं में जिस तरह की भीड़ और उत्साह देखने को मिला, उसने एनडीए के वोटरों को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई। जायसवाल के अनुसार, “मोदी की गारंटी अब एक ब्रांड बन गई है जिसे बिहार की जनता ने पूरी मजबूती के साथ स्वीकार किया। इस चुनाव नतीजे ने इसे सिद्ध भी कर दिया।”
अमित शाह की रणनीति और चुनावी प्रबंधन
दूसरी ओर, रणनीति के मोर्चे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अहम भूमिका रही। शाह ने चुनाव से पहले कई स्तरों पर संगठन को मजबूत करने, बूथ प्रबंधन सुधारने, और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए लगातार बैठकों की श्रृंखला चलाई। जायसवाल ने कहा, “अमित शाह को राजनीति का चाणक्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सिर्फ रणनीति बनाते नहीं, बल्कि उसे जीत में बदलने की कला रखते हैं। बिहार का यह नतीजा अमित शाह की रणनीति की सफलता है।” शाह ने चुनाव के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं को एक विशेष चुनावी “मंत्र” दिया था, जो बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूती दिलाने में प्रभावी रहा।
नीतीश कुमार का नाम गायब—क्या संकेत दे रहा है बीजेपी का रुख?
जायसवाल के पूरे बयान में एक बात खास रही—उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह का अनेक बार उल्लेख किया, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम एक बार भी नहीं लिया। इससे राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या बीजेपी इस बार नीतीश कुमार के चेहरे को आगे बढ़ाने को लेकर उत्साहित नहीं है। चुनाव प्रचार के समय अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बार कहा था कि एनडीए की ओर से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन जैसे ही चुनाव परिणाम आए और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, उसके बाद पार्टी नेताओं की भाषा अचानक बदल गई है। जायसवाल ने कहा, “विधायक दल की बैठक में यह तय किया जाएगा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। उससे पहले मतदाता धन्यवाद कार्यक्रम होगा।” यह बयान साफ संकेत देता है कि भाजपा फिलहाल नीतीश कुमार को लेकर कोई खुला रुख अपनाने से बच रही है।
बीजेपी अंदरूनी तौर पर चाहती है अपना मुख्यमंत्री?
इस बार भाजपा ने इतनी सीटें हासिल कर ली हैं कि वह जेडीयू के बिना भी सरकार बनाने की स्थिति में करीब-करीब पहुंच चुकी है। ऐसे में पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की यह इच्छा है कि मुख्यमंत्री का चेहरा इस बार बीजेपी से ही हो। हालांकि, यह भी चर्चा है कि सहमति बनाने के लिए बीजेपी कुछ समय के लिए नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बना सकती है, लेकिन साफ है कि अब बीजेपी अपने फैसले खुद लेना चाहती है और नीतीश पर निर्भरता कम करना चाहती है।
मोदी और शाह को श्रेय, नीतीश को दूर रखकर क्या संदेश?
जायसवाल का बयान दो बड़े राजनीतिक संकेत देता है। बिहार की जीत का पूरा श्रेय मोदी और शाह को दिया जा रहा है। नीतीश कुमार को लेकर भाजपा की असमंजस अब खुलकर सामने आ रही है। अब सभी की निगाहें एनडीए विधायक दल की बैठक पर हैं, जहां यह तय होगा कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में आएंगे, या बीजपी पहली बार अपना मुख्यमंत्री प्रस्तुत करेगी—यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

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