पटना के विरोध प्रदर्शन में तेजस्वी का हमला, कहा- गरीबों का नाम काटा जा रहा, मोदी-नीतीश की दादागिरी नहीं चलेगी

पटना। बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर जारी विवाद और राजनीतिक हलचल अब अपने चरम पर पहुंच गई है। इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को ‘बिहार बंद’ के तहत पटना में आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और सत्तारूढ़ एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला।
तेजस्वी का आरोप- गरीबों के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे है।
पटना में आयोजित विरोध रैली में तेजस्वी यादव ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दोनों की ‘दादागिरी’ अब नहीं चलने वाली। तेजस्वी का कहना था कि यह अभियान संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है और इसका उद्देश्य विपक्ष के समर्थक वोटरों को वंचित करना है।
चुनाव आयोग पर भी उठाए सवाल
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आयोग सत्ताधारी दलों के इशारे पर काम कर रहा है और एकतरफा कार्रवाई के जरिए मतदाता सूची में छेड़छाड़ की जा रही है। उनका दावा है कि गरीबों और पिछड़े वर्ग के लोगों के पास सभी जरूरी दस्तावेज नहीं होते, ऐसे में उनकी पहचान पर सवाल उठाकर उन्हें सूची से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने इसे एक प्रकार का ‘गैर-सरकारी एनआरसी’ बताया।
विरोध मार्च को रोका गया, सड़कों पर ही हुआ संबोधन
प्रदर्शन के दौरान जब तेजस्वी यादव समेत अन्य विपक्षी नेता चुनाव आयोग के कार्यालय की ओर मार्च कर रहे थे, तब पुलिस ने उन्हें सचिवालय थाने के पास बैरिकेडिंग कर रोक दिया। इसके बाद नेताओं को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई। चुनाव आयोग का कार्यालय वहां से लगभग 150 मीटर की दूरी पर था, लेकिन प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलने के कारण वे आगे नहीं जा सके। तेजस्वी ने वहीं से कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और फिर सभी नेता लौट गए।
संविधान और वोट के अधिकार की रक्षा की बात
तेजस्वी यादव ने कहा कि वोट का अधिकार भारत के हर नागरिक का मौलिक और लोकतांत्रिक अधिकार है। इसे छीनने की कोई भी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने एलान किया कि कांग्रेस और महागठबंधन के अन्य दल इस मुद्दे को सड़क से संसद तक लेकर जाएंगे और जब तक गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों को न्याय नहीं मिलेगा, यह संघर्ष जारी रहेगा।
राहुल गांधी और अन्य नेताओं की मौजूदगी
बिहार बंद को और मजबूती देने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी दिल्ली से पटना पहुंचे। वे इनकम टैक्स गोलंबर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। उनके साथ तेजस्वी यादव, पप्पू यादव और भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य भी मौजूद रहे। सभी विपक्षी नेता एक ही वाहन में सवार होकर चुनाव आयोग कार्यालय की ओर रवाना हुए और सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की।
सड़क पर विपक्ष की एकजुटता
इस पूरे घटनाक्रम में विपक्षी दलों की एकता भी देखने को मिली। सड़क पर उतरकर एकजुटता के साथ प्रदर्शन करना यह संकेत देता है कि आने वाले चुनावों में विपक्ष केंद्र और राज्य सरकार को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में है। विपक्ष का दावा है कि यह लड़ाई सिर्फ मतदाता सूची की नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है। पटना में हुए इस प्रदर्शन ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर से गरमा दिया है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और अधिक चर्चा में रहने वाला है।
राज्य भर में जनजीवन प्रभावित
बंद के कारण राज्य के विभिन्न शहरों में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। पटना, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और आरा जैसे प्रमुख शहरों में बाजार बंद रहे, यातायात ठप रहा और सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा देखा गया। रेलवे ट्रैफिक को बाधित करने की कोशिशों के तहत कई जगहों पर ट्रेनों को रोका गया। खासतौर पर पटना-गया रेलखंड पर कुछ समय के लिए ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा। वहीं, कई राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रदर्शनकारियों ने जाम लगाकर आमजन को असुविधा में डाला।
चुनाव आयोग की सफाई और अपील
उधर, चुनाव आयोग ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य सूची को अद्यतन और पारदर्शी बनाना है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और प्रक्रिया में सहयोग करें। आयोग के अनुसार, किसी समुदाय या वर्ग के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
बिहार बंद को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। बीजेपी ने महागठबंधन पर आरोप लगाया कि वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं और जनता को परेशान करके राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने इसे “राजनीतिक रोटियां सेंकने की कवायद” बताया और कहा कि आम जनता इन साजिशों को समझती है। बिहार बंद के माध्यम से विपक्ष ने आगामी चुनावों को लेकर अपनी सक्रियता और रणनीतिक एकजुटता का परिचय दिया है। हालांकि चुनाव आयोग के दावों और राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच आम जनता भ्रम की स्थिति में है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस मामले में क्या निर्णय आता है और वोटर सूची को लेकर चल रहा यह टकराव आगामी चुनावों में क्या मोड़ लेता है।
