आरजेडी का बड़ा दावा, जदयू के दो दर्जन से अधिक विधायक बीजेपी के संपर्क में, सत्ता से नीतीश को हटाने की तैयारी

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने बड़ा दावा किया है कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के दो दर्जन से अधिक विधायक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संपर्क में हैं। आरजेडी प्रवक्ता एज्या यादव ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहा कि बीजेपी बिहार में किसी भी समय अपनी सरकार बना सकती है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सत्ता से हटा सकती है। बिहार में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है। वर्तमान कैबिनेट में कुल 36 मंत्री हैं, जिनमें से 21 मंत्री बीजेपी के और 13 मंत्री जेडीयू के हैं। यह पहला मौका है जब बीजेपी के पास मंत्रिमंडल में स्पष्ट बहुमत है। आरजेडी का मानना है कि बीजेपी ने इस रणनीति के तहत ज्यादा मंत्री बनाए हैं ताकि वह सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर सके। आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि 2013 में जब नीतीश कुमार ने बीजेपी के मंत्रियों को अपने कैबिनेट से बाहर किया था, तब से ही बीजेपी इस अवसर की तलाश में थी। अब बीजेपी ने सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और वह किसी भी समय नीतीश कुमार को बाहर कर सकती है। आरजेडी ने यह भी दावा किया है कि जेडीयू के चार बड़े नेता, जो बीजेपी के करीबी हैं, पार्टी के विधायकों को बीजेपी की ओर लामबंद कर रहे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जेडीयू की ओर से कहा गया कि उनके कोटे के मंत्री पहले ही तय हो चुके थे, लेकिन आरजेडी ने इसे अलग रंग देने की कोशिश की है। बीजेपी और जेडीयू की यह सत्ता साझेदारी असंतुलित होती दिख रही है। जेडीयू अब छोटे भाई की भूमिका में नजर आ रही है, जबकि बीजेपी का दबदबा बढ़ता जा रहा है। आरजेडी का कहना है कि बीजेपी की योजना 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाना है। इसी कारण से बीजेपी ने मंत्रिमंडल विस्तार में अपने अधिक नेताओं को शामिल किया और जेडीयू को सीमित स्थान दिया। इस घटनाक्रम से साफ है कि बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव हो सकता है। फिलहाल, जेडीयू और बीजेपी के बीच सत्ता संतुलन को लेकर जो अस्थिरता बनी हुई है, वह भविष्य में किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर संकेत कर रही है। क्या नीतीश कुमार इस दबाव को झेल पाएंगे, या फिर बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, यह देखने वाली बात होगी।

 

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