यूपी में हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं का दुर्व्यवहार, पहचान करने के दुकानदार को नंगा किया, मुस्लिम होने के बाद जोरदार हंगामा

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा से पूर्व शुरू हुए “पहचान बताओ अभियान” को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मामला तब तूल पकड़ गया जब बघरा आश्रम के कथित तौर पर समर्थित हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने एक ढाबे पर काम कर रहे कर्मचारी से जबरन आधार कार्ड मांगते हुए उसका अपमान कर दिया। घटना हाईवे पर स्थित ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ पर हुई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, आगामी 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र यशवीर महाराज के नेतृत्व में लगभग 5000 स्वयंसेवकों को अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया जा रहा है। इसी क्रम में कुछ कार्यकर्ता हाईवे पर स्थित ढाबों और होटलों पर पहुंचकर मालिक और कर्मचारियों की पहचान पूछने लगे।
कर्मचारी से आधार मांगने पर विवाद
घटना के अनुसार, ढाबे पर मौजूद कर्मचारियों से पहले आधार कार्ड दिखाने की मांग की गई। जब गोपाल नामक कर्मचारी आधार कार्ड नहीं दिखा सका, तो आरोप है कि कार्यकर्ताओं ने जबरन उसकी पहचान स्पष्ट करने के लिए उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मौके पर काफी हंगामा हुआ और कर्मचारी ने शोर मचाया, जिसके बाद स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप से स्थिति किसी तरह काबू में आई।
मालिक के नाम को लेकर मचा बवाल
ढाबे के बाहर लगे बारकोड को स्कैन करने पर मालिक का नाम मुस्लिम समुदाय से संबंधित होने की जानकारी सामने आई, जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि, कोई हिंसक झड़प नहीं हुई लेकिन पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन और स्थानीय समाज में चिंता की लहर पैदा कर दी है।
पुलिस की सक्रियता से टला बड़ा विवाद
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने तत्काल हस्तक्षेप कर सभी पक्षों से बातचीत की और मामले को शांत कराया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “कांवड़ मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दुकानों को चिन्हित किया जा रहा है और सभी दुकानदारों को स्पष्ट नेम प्लेट लगाने के निर्देश दिए गए हैं।”
यशवीर महाराज का बयान
बघरा आश्रम के यशवीर महाराज ने अपने बयान में कहा कि “हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान कोई धर्म भ्रष्ट न हो। इसलिए होटल और ढाबा संचालकों से आग्रह किया गया है कि दुकान पर मालिक और कर्मचारियों के नाम स्पष्ट रूप से चस्पा करें।”
विवादित अभियान पर उठे सवाल
हालांकि, कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय निवासियों ने इस पहचान पूछने की मुहिम को अनुचित बताया है। उनका कहना है कि यह कदम सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने वाला है और इससे भय का माहौल बन सकता है। कई लोग इसे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध और व्यक्ति की निजता का हनन मान रहे हैं।
वीडियो वायरल, जांच जारी
घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, हालांकि पुलिस और स्थानीय मीडिया ने इसकी पुष्टि नहीं की है। पुलिस ने कहा है कि वायरल वीडियो की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुजफ्फरनगर की यह घटना राज्य में धार्मिक तनाव और सामाजिक ताने-बाने के लिए गंभीर संकेत दे रही है। प्रशासन जहां शांति बनाए रखने के प्रयास में जुटा है, वहीं पहचान बताओ जैसे अभियानों की वैधानिकता और नैतिकता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और शांति बनाए रखने की अपील की गई है।

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