पटना के हॉस्टल में नाबालिक छात्रा ने की आत्महत्या, प्रतियोगी परीक्षा की करती थी तैयारी, कमरे में लटकी मिली लाश

पटना। पटना के एक हॉस्टल में मंगलवार की देर रात एक दर्दनाक घटना सामने आई। यहां रहने वाली 16 वर्षीय छात्रा ने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। यह घटना बुद्धा कॉलोनी थाना क्षेत्र स्थित कृष्णानगर रोड नंबर 14 में हुई। मृत छात्रा फतुहा की रहने वाली थी और वह पटना में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। छात्रा की आत्महत्या ने न केवल उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि आसपास के छात्रों और समाज में भी चिंता और शोक का माहौल बना दिया है। जानकारी के अनुसार छात्रा पिछले कुछ समय से यहां एक हॉस्टल में रह रही थी। उसका लक्ष्य प्रतियोगी परीक्षा पास कर अपने करियर में आगे बढ़ना था। उसके साथ अन्य सहपाठी भी रहते थे। सभी छात्राएं मिलकर कोचिंग क्लास में पढ़ाई करती थीं। छात्रा का स्वभाव शांत बताया गया है और वह अपने लक्ष्य के प्रति गंभीर थी। फिर भी अचानक इस तरह की घटना घट जाना सबके लिए चौंकाने वाला है। छात्रा की उम्र कम होने के बावजूद वह अपने भविष्य के लिए मेहनत कर रही थी, लेकिन उसके मन में किन समस्याओं ने जगह बनाई, इसका अभी पता नहीं चल सका है। मंगलवार की शाम सभी छात्राएं पढ़ाई के लिए कोचिंग गई थीं। जब वे शाम को हॉस्टल लौटे तो देखा कि छात्रा का कमरा अंदर से बंद है। कई बार आवाज देने और दरवाजा खटखटाने के बावजूद कमरे के अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। परेशान होकर छात्राओं ने हॉस्टल संचालक को सूचना दी। संचालक ने तुरंत पुलिस को घटना की जानकारी दी। संदेह होने पर पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा खुलवाया। दरवाजा खुलते ही छात्रा फंदे से लटकी मिली। इस दृश्य ने वहां मौजूद सभी लोगों को स्तब्ध कर दिया। घटना की सूचना मिलने के बाद बुद्धा कॉलोनी पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। थाना प्रभारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है। फिर भी पुलिस अन्य पहलुओं की भी गंभीरता से जांच कर रही है। फिलहाल छात्रा की आत्महत्या के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। पुलिस छात्रा के परिवार और सहपाठियों से बातचीत कर रही है ताकि घटना के पीछे की मानसिक, सामाजिक या व्यक्तिगत वजहों का पता लगाया जा सके।
सहपाठियों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद छात्रा के साथ रहने वाली अन्य सहपाठियों में भय और दुख का माहौल है। वे छात्रा के व्यवहार और मानसिक स्थिति को लेकर अनजान थीं। कई छात्राएं इसे लेकर खुद को दोषी मान रही हैं कि शायद वे उसकी परेशानी समझ नहीं पाईं। वहीं, हॉस्टल संचालक और अन्य छात्राओं ने बताया कि छात्रा सामान्य तौर पर ठीक रहती थी और पढ़ाई में व्यस्त रहती थी। घटना ने सभी को मानसिक रूप से विचलित कर दिया है।
परिवार पर प्रभाव
मृत छात्रा के परिवार पर इस घटना का गहरा असर पड़ा है। परिवार के लोग शोक में डूबे हुए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनकी बेटी ने इतनी बड़ी कदम क्यों उठाया। परिवार वालों ने पुलिस से न्याय की मांग की है और यह भी अनुरोध किया है कि छात्राओं की मानसिक स्थिति पर ध्यान दिया जाए। परिवार का कहना है कि यदि समय रहते कोई मदद मिलती तो शायद यह दुर्घटना टल सकती थी।
मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता
यह घटना मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत को उजागर करती है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों पर अतिरिक्त मानसिक और भावनात्मक दबाव होता है। समय पर उचित मार्गदर्शन और परामर्श न मिलने से वे तनाव में आ सकते हैं। इसलिए ऐसे मामलों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है। परिवार, शिक्षक और समाज को मिलकर छात्रों का सहयोग करना चाहिए ताकि वे किसी भी मानसिक परेशानी का सामना कर सकें। यह घटना एक चेतावनी है कि छात्र जीवन में मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना कितना जरूरी है। समय रहते मदद मिलने से कई दुखद घटनाओं को रोका जा सकता है। छात्रा की आत्महत्या ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
