December 4, 2025

गया में 15 दिसंबर से शुरू होगा मिनी पितृपक्ष, तैयारी में जुटा प्रशासन

पटना। बिहार के गया में 15 दिसंबर से पौष माह का मिनी पितृपक्ष मेला शुरू होने जा रहा है। हर साल आयोजित होने वाले इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए यहां आते हैं। इस बार भी प्रशासन मेले की तैयारियों में जुटा हुआ है ताकि तीर्थयात्रियों को हरसंभव सुविधा प्रदान की जा सके।
पितृपक्ष का महत्व और परंपरा
पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक पवित्र अवधि है, जब लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पिंडदान से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे बैकुंठ लोक को प्राप्त करते हैं। पौष माह का पितृपक्ष, जिसे मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है, आश्विन माह के महालय पक्ष का ही छोटा रूप है। शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तब पिंडदान का विशेष महत्व होता है। इसी दौरान तीर्थयात्री गया आते हैं और विष्णुपद मंदिर के पास फल्गु नदी में पिंडदान करते हैं। पंडा समाज के अनुसार, इस साल 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक चलने वाले इस मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से करीब 5 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। खासकर वे तीर्थयात्री, जो गंगा सागर की यात्रा पर जाते हैं, गया में पहले पिंडदान करने की परंपरा निभाते हैं। इस मेले में आने वाले अधिकतर श्रद्धालु एक या तीन दिवसीय कर्मकांड संपन्न करते हैं। इनमें पिंडदान, श्राद्ध और अन्य धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं। गया के विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी के तट पर पंडा समाज इन अनुष्ठानों को कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्राचीन परंपरा और धार्मिक मान्यता
पौष माह का यह मेला गया की एक प्राचीन परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में पिंडदान करने से पूर्वजों को तुरंत बैकुंठ लोक में स्थान मिलता है। ठंड के मौसम में विशेष रूप से उत्तर भारत और ठंडे प्रदेशों के तीर्थयात्री इस मेले में शामिल होने के लिए आते हैं। पंडा समाज के लोग तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने के लिए विशेष रूप से प्रयासरत हैं। वे अपने-अपने क्षेत्रों से श्रद्धालुओं को लाने के लिए संपर्क कर रहे हैं और उनके ठहरने तथा अनुष्ठानों की व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं।
प्रशासन की तैयारियां और सुविधाएं
गया में लगने वाले इस एक महीने के मेले के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। मेले के दौरान स्वच्छता, सुरक्षा और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। साथ ही, मेले के दौरान अस्थायी शिविर और चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है ताकि मेले में आने वाले तीर्थयात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
गया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गया, हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने स्वयं यहां आकर असुर गयासुर को मोक्ष प्रदान किया था। तभी से यह स्थान पिंडदान और श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है। गया में हर साल पौष माह में मिनी पितृपक्ष का आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को भी सुदृढ़ करता है। पौष माह का मिनी पितृपक्ष न केवल श्रद्धालुओं के लिए पूर्वजों की आत्मा की शांति का अवसर है, बल्कि यह गया के लिए एक धार्मिक और सामाजिक उत्सव भी है। प्रशासन और पंडा समाज के समन्वय से इस मेले को सफल बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। गया में पितृपक्ष की यह परंपरा श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को मजबूत करती है और भारतीय संस्कृति के धार्मिक मूल्यों का प्रतीक है। इस बार भी लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो अपने पवित्र कर्मकांडों के जरिए अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

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