उत्तराखंड में महसूस किए गए भूकंप के हल्के झटके, चमोली में घरों से निकले लोग, 3.3 मापी गई तीव्रता

चमोली। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंप का खतरा लगातार बना हुआ है। ताजा मामला चमोली जनपद का है, जहां बीती रात 2:44 बजे धरती ने एक बार फिर करवट ली। इस घटना के बाद लोगों में हलचल मच गई और वे रात के अंधेरे में अपने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की तलाश करने लगे।
भूकंप की तीव्रता और गहराई
भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.3 मापी गई है, जबकि इसकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर बताई जा रही है। यह एक हल्का झटका था, लेकिन चूंकि यह रात के समय हुआ, इसलिए लोगों में अचानक भय और तनाव उत्पन्न हो गया। हालांकि राहत की बात यह रही कि इस भूकंप से किसी भी प्रकार के जान-माल की क्षति की कोई सूचना नहीं है।
लगातार झटकों से लोगों में डर का माहौल
चमोली समेत उत्तराखंड के अन्य सीमावर्ती जिलों में लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। इससे पहले भी उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों में कुछ ही दिनों के भीतर हल्के झटके दर्ज किए गए हैं। पिछले 30 दिनों में राज्य में तीन बार भूकंप दर्ज किया गया है। 6 जुलाई को अल्मोड़ा में 3.4 तीव्रता का, 8 जुलाई को उत्तरकाशी में 3.2 तीव्रता का और अब 17 जुलाई की रात चमोली में 3.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया है।
भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र
उत्तराखंड को भूगर्भीय दृष्टि से सिस्मिक जोन 4 और 5 में रखा गया है, जो कि अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र माने जाते हैं। इसका अर्थ है कि यहां कभी भी तीव्र भूकंप आने की संभावना बनी रहती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र एक सक्रिय भूगर्भीय पट्टी पर स्थित है और पिछले 500 वर्षों में कोई बड़ा भूकंप न आने के कारण अब यह संभावना बढ़ गई है कि भविष्य में कभी भी एक बड़ा भूकंप आ सकता है।
इतिहास की झलक: 1999 का विनाशकारी भूकंप
चमोली जिले का भूकंप से पुराना नाता रहा है। वर्ष 1999 में इसी जिले में 6.6 तीव्रता का भयानक भूकंप आया था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी और बड़ी मात्रा में संपत्ति का नुकसान हुआ था। उस घटना की स्मृति आज भी लोगों के मन में ताजा है, और यही कारण है कि हल्के झटकों से भी लोग सहम जाते हैं।
वैज्ञानिकों की चेतावनी और तैयारी की आवश्यकता
भूकंप विज्ञानियों ने पहले ही चेताया है कि उत्तराखंड क्षेत्र में किसी बड़े भूकंप की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में राज्य सरकार, प्रशासन और स्थानीय लोगों को हमेशा सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है। सुरक्षित निर्माण तकनीकों, भूकंप पूर्व तैयारियों और आपदा प्रबंधन के प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। चमोली में भले ही यह भूकंप हल्का रहा हो, लेकिन लगातार आ रहे झटकों ने लोगों को भयभीत कर दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड की धरती भूगर्भीय दृष्टि से सक्रिय बनी हुई है। आवश्यकता है सतर्कता, जागरूकता और आपदा से निपटने की पूर्व तैयारी की, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
